प्रदोष काल निर्धारित करने की ३ प्रचलित मान्यताये है-
जिनका आप अपने क्षेत्र और रीती अनुसार अनुसरण करे |
एक मान्यता के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से आगे चार घटी अथार्त ९६ मिनिट का होता है |
दूसरी मान्यता के अनुसार सूर्यास्त्र के समय से दूसरे दिन के सूर्य उदय तक का काल लेकर उसके ५ भाग करे, सूर्यास्त के समय से आगे पहला भाग प्रदोष काल माना जायेगा यह समय सूर्यास्त्र से आगे १४४ मिनिट का रहेगा |
तीसरी मान्यता अनुसार सूर्यास्त से पहले देह घंटा और सूर्यास्त के बाद देह घंटे तक प्रदोष काल माना जायेगा |
प्रदोष व्रत का महत्व-
प्रदोष व्रत अन्य दूसरे व्रतों से अधिक शुभ एवम महत्वपूर्ण माना जाता है | मान्यता यह भी है इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापो का नाश होता है एवम मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है | उसी तरह प्रदोष व्रत रखने एवम दो गाय दान करने से भी यही सिद्धि प्राप्त होती है एवम भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
सप्ताह के अलग-अलग दिनों पर प्रदोष व्रत के लाभ –
रविवार के दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत एवम उम्र लम्बी होती है |
सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हेै |
मंगलवार के दिन व्रत रखने से बीमारियों से राहत मिलती है |
बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकमनाएं एवम इच्छाए पूर्ण होती है |
ब्रहस्पतिवार को व्रत रखने से दुश्मनो का नाश होता है |
शुक्रवार को व्रत रखने से शादीशुदा जिंदगी एवम भाग्य अच्छा होता है |
शनिवार व्रत रखने से संतान प्राप्त होती है |
माह में दो बार प्रदोष आता है | एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में जो लोग प्रदोष काल में अन्नय भक्ति भाव से महादेव के चरण कमलो का पूजन करते है उन्हें इस लोक में धन धान्य पुत्र सौभाग्य एवम सम्पति की प्राप्ति होती है |
“अतः प्रदोषे शिव एक एव पूज्योनथ नान्ये हरिपद्मजाघा:”
“तस्मिन् महेशै विधिजयमने सर्वे प्रसीदंती सुराधिनाथा: ”