फूल हमारी श्रद्धा और भावना का प्रतीक होते हैं. इसके साथ ही ये हमारी मानसिक स्थितियों को भी बताते हैं. ज्योतिष के अनुसार हर फूल के रंग और सुगंध का एक मतलब होता है. अलग-अलग प्रकार के फूल अलग तरह का प्रभाव पैदा करते हैं. हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि पूजा में वास्तविक फूल के अलावा मानसिक फूल भी अर्पित किए जा सकते हैं.  आइए जानते हैं कौन से फूल से क्या लाभ मिलता है.

गेंदे के फूल का महत्व और प्रयोग विधि?

– गेंदा वास्तव में एक फूल नहीं होता, यह छोटे-छोटे फूलों का एक गुच्छा है.

– गेंदा कई प्रकार का होता है, परन्तु सबसे ज्यादा उपयोगी और महत्वपूर्ण, पीले गेंदे का फूल होता है.

– गेंदे के फूल का सम्बन्ध, बृहस्पति नामक ग्रह से होता है.

– इसके प्रयोग से ज्ञान, विद्या और आकर्षण की प्राप्ति होती है.

– गेंदे के फूल के प्रयोग से आकर्षण क्षमता बढ़ जाती है.

– भगवान विष्णु को नियमित रूप से पीले गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं, इससे आपको संतान सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.

गुलाब के फूल का महत्व और प्रयोग विधि?

– गुलाब का फूल एक अद्भुत और चमत्कारी फूल है, जो रिश्तों पर सीधा असर डालता है.

– गुलाब के फूल की ढेर सारी किस्में पाई जाती हैं, परन्तु ज्योतिष और पूजा में लाल गुलाब का ही प्रयोग किया जाता है.

– लाल गुलाब मंगल से सम्बन्ध रखता है और इसकी खुश्बू का सम्बन्ध शुक्र से होता है.

– इसके प्रयोग से प्रेम, आकर्षण, रिश्तों और आत्मविश्वास का वरदान मिलता है.

– लक्ष्मी जी को नियमित गुलाब अर्पित करने से आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है.

– गुलाब देने से रिश्ते मजबूत होते हैं, प्रेम और वैवाहिक जीवन सुखद हो जाता है .

कमल का फूल-

– कमल का फूल शुद्ध रूप से दैवीय और आध्यात्मिक फूल माना जाता है.

– सफेद रंग का कमल अत्यंत पवित्र और ऊर्जा में सर्वश्रेष्ठ होता है.

– इसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से और दुनिया की समस्त ऊर्जा से है.

– कमल का फूल अर्पित करने का अर्थ, ईश्वर के चरणों में स्वयं को अर्पित कर देने से है.

– शिव जी या कृष्ण जी की स्थापना कमल के फूल के आसन पर करें, ईश्वर आपको गुरु रूप में प्राप्त होंगे.

– किसी भी एकादशी को कृष्ण जी को दो कमल के फूल अर्पित करें, आपकी संतान प्राप्ति की अभिलाषा पूरी होगी.

– अगर 27 दिन तक रोज एक कमल का फूल लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाय तो अखंड राज्य सुख की प्राप्ति होती है.

गुड़हल का फूल-

– गुड़हल का फूल अत्यंत ऊर्जावान माना जाता है.

– देवी और सूर्य देव की उपासना में इसका विशेष प्रयोग होता है.

– नियमित रूप से देवी को गुड़हल अर्पित करने से शत्रु और विरोधियों से राहत मिलती है.

– सूर्य जो, गुड़हल का फूल डालकर जल अर्पित करने से सूर्य की कृपा मिलती है.

– हर तरह की शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

मानसिक पुष्प-

– हर तरह के फूल से बढ़कर मानसिक फूल होता है.

– इसमें भी कमल का मानसिक फूल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.

– अलग अलग रंग के मानसिक फूल चढ़ाकर अलग अलग समस्याओं से राहत मिलती है.

– इस फूल को बनाने को जितना समय लगाएंगे, उतना ही अच्छा होगा.

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

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दुनिया में तीन तरह की ऊर्जा काम करती है- सकारात्मक, नकारात्मक और उदासीन. यह ऊर्जा हमारी सोच, व्यवहार, आदत और शब्दों से बनती है. हमारे अपने शरीर और घर में आम तौर पर सकारात्मक ऊर्जा होती है. जब किसी के सोच , स्वभाव और सम्पर्क से हमारे ऊपर नकारात्मक असर पड़ जाता है तो इसे हम नज़र लगना कहते हैं. नज़र लगने से हमारे स्वास्थ्य , सोच और प्रगति पर कुछ क्षण के लिए रुकावट आ जाती है. यह रुकावट काफी तेज होती है और एकदम से बिना कारण सब रोक देती है.

क्या होता है प्रभाव जब घर में नज़र दोष की समस्या हो?

– घर में नज़र दोष होने पर बिना कारण घर भारी लगता है

– घर के लोगों में आपसी कलह और क्लेश बढ़ता जाता है

– घर में बीमारियों में धन खर्च होता जाता है

– आम तौर पर बार बार रोजगार में उतार चढ़ाव हो सकता है

उपाय

– घर में बिना कारण कूड़ा कबाड़ न रक्खें

– घर के पूजा स्थान पर रोज शाम को दीपक जरूर जलाएं

– नित्य प्रातः और सायं घर में गुग्गल या चन्दन की अगरबत्तियां जलाएं

– घर के हर कमरे के दरवाजे पर ऊपर लाल रंग का स्वस्तिक लगाएं

– सप्ताह में एक बार घर में कीर्तन , भजन या कोई धार्मिक पाठ करें

क्या होता है प्रभाव जब काम या रोजगार में नज़र दोष की समस्या हो

– रोजगार पर नज़र दोष के कारण , नौकरी बार बार लगती छूटती है

– काफी लम्बे समय तक नौकरी के बिना रहना पड़ता है

– कारोबार पर नज़र दोष के कारण , काम एकदम से ठप हो जाता है

 – बिना कारण के ऐसा लगने लगता है कि व्यवसाय बंद हो जाएगा

– कारोबार में लगाया हुआ धन फंस जाता है

अगर किसी व्यक्ति को नज़र लग गयी हो तो उसके किस तरह के प्रभाव होते हैं?

– बिना कारण के व्यक्ति बीमार हो जाता है

– कारण और निवारण दोनों समझ नहीं आते

– व्यक्ति का मन बिना कारण के अशांत और ख़राब हो जाता है

– कभी कभी व्यक्ति अपने रिश्तों और चीज़ों को खुद ख़राब करने लगता है

उपाय

– जब भी ऐसा हो जाए, अपने थोड़े से बाल काट लें या दाढ़ी बना लें

– इसके बाद केवड़ा जल डालकर स्नान कर लें

– लाल मिर्च के एकाध बीज चबा लें

– नज़र दोष से हमेशा बचे रहने के लिए चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें

– और घर से बाहर निकलते समय गुड़ खाकर जाएँ.

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हमारे शास्त्रों में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हम जीवन में तरक्की, नाम, सुख-समृद्धि आदि प्राप्त कर सकते हैं। इन्हीं में से एक उपाय है, घर में छोटे मंदिर की स्थापना करवाना। मंदिर की स्थापना कराते समय यह ध्यान रखें कि इसमें जो भी प्रतिमा रखें, उनकी प्राण-प्रतिष्ठा जरूर हो। उसके बाद ही इन्हें स्थापित करें।

अहंकार एक ऐसा शब्द है, जो आपके ज्ञान, तरक्की, यश को हर लेता है। नाम और शोहरत कमानी है, तो अहंकार को त्यागना जरूरी है। धार्मिक ग्रंथों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि अहंकारी व्यक्ति का कभी भी नाम नहीं होता। जिस व्यक्ति के भीतर अहंकार का भाव आ जाता है, उसका विनाश निश्चित है। जो व्यक्ति प्रतिदिन भगवान का भजन-पूजन करता है, वह सब प्रकार के दुखों से मुक्त रहता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि आप अपनी राशिनुसार, देवी या देवता का नित्य पूजन करते हैं, तो इससे आपकी ख्याति दूर-दूर तक फैलती है और कार्यसिद्धि भी होती है।

यही नहीं, जिस घर में नित्य तुलसी पूजन होता है, उस घर के सदस्य खासकर परिवार के मुखिया और स्त्री विशेष लाभ कमाते हैं। गौमाता के भीतर सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। मान्यता है कि नित्य गाय को रोटी, हरा चारा खिलाने से जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है। गौ सेवा करने वाले लोगों के घर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है। इससे घर में सुख समृद्धि आती है।

लाभकारी है हनुमान यज्ञ

हिंदू धर्मशास्त्रों में हनुमान पूजन और यज्ञ का भी विशेष महत्व बताया गया है। तमाम प्रयास के बाद भी अगर घर में बरकत नहीं है, तो ऐसे में हनुमान जी की आराधना करना विशेष फलदायी होता है। घर में हर तीसरे माह हनुमान यज्ञ या साल में एक बार सुंदरकांड का पाठ भी करवाया जा सकता है। ऐसा करने से मनुष्य के ऊपर से सभी बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं और उसे व उसके परिवार को कभी भी किसी की बुरी नजर नहीं लगती। धार्मिक मतानुसार, हनुमान चालीसा, रामचरित मानस, महामृत्युजंय मंत्र, गायत्री मंत्र का निरंतर जाप करने से व्यक्ति खूब नाम कमाता है।

प्रसिद्धि पाने के लिए रोजाना 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप रोजाना करना चाहिए। गायत्री मंत्र अपनी इच्छानुसार जप सकते हैं। इनमें से किसी एक मंत्र को विधिवत रूप से जपेंगे, तो निश्चय लाभ होगा।

दान से होगा कल्याण

देखा जाता है कि प्रभुकृपा से हम कमाते तो बहुत हैं, लेकिन अपनी आय से एक भी हिस्सा जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च नहीं करते। जबकि गरीब-असहाय लोगों को भोजन कराने, वस्त्र दान करने, अनाज दान करने, बच्चों को शिक्षित करने, दवा आदि देने से आप पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है और लाभ के द्वार खुल जाते हैं। ऐसा करने से समाज में आपका नाम भी होता है। धार्मिक मान्यतानुसार, किसी विधवा स्त्री की मदद करना, किसी गरीब कन्या का विवाह कराना, विकलांग, व्यक्ति को भोजन कराना, 101 पेड़ लगवाना, गाय दान देना आदि ऐसे उपाय हैं, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्वि लाने के साथ आपकी ख्याति भी बढ़ाते हैं। इस तरह के कार्य करते रहने से भगवान तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही मानसिक लाभ भी प्राप्त होता है।

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भूख लगी, तो कुछ भी खा लिया और कैसे भी खा लिया। लेकिन क्या आपने सोचा है कि जिस तरीके से आप भोजन करते हैं, वह कितना सही है? अगर नियमानुसार भोजन करेंगे, तो धार्मिक दृष्टि से तो लाभ होगा ही स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। हिंदू धर्मशास्त्रों में अन्न को देवता माना गया है। शास्त्रानुसार, जो व्यक्ति अन्न का अनादर करता है या नियमानुसार भोजन नहीं करता, उससे अन्न देवता  रुष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में भोजन करने के कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं। जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है, वह स्वस्थ भी रहता है और देवता भी प्रसन्न रहते हैं

मान्यता है कि हमें बिना नहाये भोजन नहीं करना चाहिए। इससे भोजन शरीर को लगता नहीं है और अन्न देव भी रुष्ट होते हैं। ऐसे जातक, जो बिना हाथ-मुंह धोए, बिना नहाये या गंदे स्थान पर बैठकर भोजन करते हैं, हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझते रहते हैं और अन्न की कमी हमेशा बनी रहती है, स्वास्थ्य भी खराब रहता है।

शास्त्रों में भोजन करने का सबसे उपयुक्त स्थान जमीन को बताया गया है। बिस्तर, कुर्सी, सोफा आदि पर बैठकर भोजन करना धार्मिक दृष्टि से गलत माना गया है। भोजन पकाने के बाद पहली रोटी गाय के लिए अवश्य निकालनी चाहिए। अगर नहीं निकाल पाते हैं, तो भोजन शुरू करने से पहले, पहला ग्रास भगवान के नाम का निकालना चाहिए और उनका धन्यवाद देकर ही भोजन शुरू करना चाहिए।

जब भी हम भोजन करते हैं, तो उसका कुछ अंश नीचे जमीन पर गिर जाता है और हम इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। जमीन पर गिरा भोजन पैरों के नीचे आता रहता है, जो गलत है। धार्मिक दृष्टि से अन्न का पैरों के नीचे आना अच्छा नहीं माना जाता है। भोजन करने के दौरान जो भी अन्न नीचे गिर जाए, उसे उठाकर रख लें और चिड़िया या चींटी को डाल दें। अगर नहीं डाल पा रहे हैं, तो उसे साफ स्थान पर रख दें।

कई बार भूख से ज्यादा भोजन अपनी प्लेट में डाल लेते हैं और भोजन बच जाता है। थाली में बचा झूठा भोजन, वास्तु व ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से सही नहीं माना जाता। कहते हैं थाली में भोजन छोड़ने से देवी लक्ष्मी घर से दूर चली जाती हैं और धन आगमन बाधित होता है। बचे हुए भोजन को किसी जानवर को खिला देना सही है, इसे कचरे में फेंकने या अपवित्र स्थान पर रखने, घर खड़े-खड़े भोजन करने, जूते पहनकर खाने, सिर ढककर भोजन करने से आयु कम होती है।यूनिवर्सिटी ऑफ कैर्लिफोर्निया के एक शोध के मुताबिक, भोजन करने के तुरंत बाद सोने, व्यायाम करने, घूमने, धूम्रपान आदि करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट में अपच, पेट का बढ़ना, वजन बढ़ना, गैस बनना, सिरदर्द, बैचेनी जैसी समस्या होती है।

भोजन करते समय पानी पीना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं होता। इससे हमें पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर होता है। फ्रिज में रखे हुए या बासी भोजन को भी नहीं खाना चाहिए। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस पनप जाते हैं, जो हमें बीमार बनाते हैं।

भोजन करने के बाद तुरंत टहलना शुरू कर देते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गलत है। दोपहर को भोजन करने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए। हां, शाम का भोजन करने के बाद कुछ देर टहलना सही रहता है। मगर खाने के आधे घंटे बाद ही टहलना चाहिए।  साथ ही रात के भोजन और सोने के बीच कम से कम दो घंटे का अंतर रखना जरूरी है।

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शनि ग्रहों के न्यायाधीश और दंडाधिकारी हैं. व्यक्ति को उसके शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. शनि देव बिना कारण के पीड़ा नहीं देते. व्यक्ति के गलत कार्यों के फलस्वरूप उसे पीड़ा भोगनी पड़ती है. शनिदेव इस पीड़ा देने के माध्यम मात्र बनते हैं.

शनि जब पीड़ा देते हैं तो इसके प्रभाव क्या होते हैं?

– व्यक्ति को स्नायु तंत्र और लम्बी बीमारी की समस्या हो जाती है

– व्यक्ति के हर कार्यों में विलम्ब और रुकावट आती है

– रोजगार और नौकरी के मामले में कठिनाई आती है

– जीवन में अकेलेपन का सामना करना पड़ता है

शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए लोहे का छल्ला क्यूँ कारगर होता है?

– शनिदेव का आधिपत्य लौह धातु पर है

– इसलिए लोहे का छल्ला शनि देव की शक्तियों को नियंत्रित करने के काम आता है

– परन्तु यह छल्ला सामान्य लोहे का नहीं होता , यह घोड़े की नाल या नाव की कील का बना हुआ होता है

– घोड़े के पैरों की घिसी हुआ नाल या लहरों से टकरायी हुयी नाव की कील एक विशेष चुम्बकीय प्रभाव रखती है

– अतः इसका बना हुआ छल्ला शनि की पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है

– जब भी इसकी अंगूठी बनवाएं इसे आग में न तपाये

शनि कृपा के लिए कैसे लोहे का छल्ला धारण करें?

– घोड़े की नाल या नाव की कील की बनी हुयी अंगूठी शनिवार के अलावा किसी भी दिन लाएं

– इसको शनिवार को सुबह सरसों के तेल में डुबोकर रख दें

– शाम को इसे निकाल कर जल से धोकर शुद्ध कर लें

– अब इसे अपने सामने रखकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें

– इसके बाद इसे मध्यमा अंगुली में धारण कर लें

– शनिदेव की पीड़ा का असर लगभग समाप्त हो जाएगा

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नवग्रहों में राहु एक छाया ग्रह है, इसका अपना कोई स्वभाव नहीं होता, स्वतंत्र रूप से यह शनि के स्वभाव का होता है. ज्योतिष में राहु विच्छेदन , संचार , अभिनय , रहस्य और विष का कारक होता है. राहु ग्रहों के शुभ प्रभाव को घटा देता है और अशुभ प्रभावों को बढ़ा देता है. लग्न, तृतीय,षष्ठ,सप्तम,दशम और एकादश भाव में आम तौर से राहु शुभ होता है. अन्य भावों में राहु उस भाव के फल को नष्ट कर देता है.

मेष – राहु करियर तथा धन की बाधा दे सकता है. राहु के वैदिक मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” का जाप करें.

वृष- वैवाहिक जीवन और भाग्य में अवरोध पैदा कर सकता है.

पीपल की जड़ में तिल मिला हुआ जल डालें , शनिवार को सात्विक रहें.

मिथुन- घर और भाइयों से दूर कर सकता है , साथ ही वाणी ख़राब कर देता है.

सूर्य को जल दें,अमावस्या को किसी निर्धन को भोजन करायें.

कर्क- अगर राहु ख़राब हो तो वैवाहिक जीवन छिन्न-भिन्न कर देता है , साथ ही कर्ज हमेशा बना रहता है.

नीले कपडे में चन्दन का टुकड़ा बांधकर धारण करें, झूठ से बचें.

सिंह- राहु का असर इनके व्यवसाय और संपत्ति पर होता है, मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है.

चांदी का चौकोर टुकड़ा गले में पहनें, शनिवार को शराब या सिरके को बहा दें.

कन्या- शिक्षा में बाधा आती है , व्यक्ति अड़ियल और जिद्दी हो जाता है.

हाथी दांत या शंख धारण करें, राहु की वस्तुओं का दान करें.

तुला- संपत्ति सम्बन्धी मामलों में समस्या आती है , किसी भी प्रकार का सुख नहीं मिलता.

प्रकाश का दान करें,राहु के तांत्रिक मंत्र का जाप करें – ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौ सः राहवे नमः”

वृश्चिक- भाई बहनों से सम्बन्ध बिगाड़ देता है , साथ ही घर से दूर जाकर जीविका मिलती है.

चन्दन का तिलक लगायें, पूजा स्थान पर हमेशा नारियल रखें.

धनु- व्यक्ति को कपट करने की आदत पड़ जाती है और व्यक्ति धन की तंगी में रहता है.

शंख या हाथी दांत धारण करें, चन्दन की सुगंध का अधिक से अधिक प्रयोग करें.

मकर- स्वास्थ्य ख़राब रहता है, रहस्यमयी रोग हो जाते हैं.

राहु के वैदिक मंत्र – “ॐ रां राहवे नमः’ का जाप करें , हमेशा सात्विक भोजन करें.

कुम्भ- वैराग्य पैदा करता है , कभी कभी नशे की प्रवृति भी देता है.

नीले कपड़े में चन्दन का टुकड़ा धारण करें, पिता के साथ रिश्ते अच्छे रखें.

मीन- व्यक्ति के चरित्र में दोष आ जाता है , धन के मामले में उतार चढ़ाव आता रहता है.

चांदी का चौकोर टुकड़ा गले में पहनें, मोर पंख साथ में रखें.

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सृष्टि के नियम से न सिर्फ इंसान बल्कि भगवान भी बंधे हैं और उन्हें भी इसका पालन करना होता है। इसलिए जब भगवान ने मनुष्य रुप में जन्म लिया तब उन्हें भी अपना शरीर त्यागना पड़ा फिर सामान्य मनुष्य कि बात ही क्या है।  लेकिन मनुष्य के अनुरोध पर यमराज ने मृत्यु से पहले चार संदेश देने का वचन दिया था जिसका पालन आज भी यमराज करते हैं इसके साथ ही मृत्यु बिल्कुल करीब आने पर कुछ एहसास भी दिलाते हैं कि अब वक्त पूरा हुआ अब शरीर त्यागने का समय आ गया है।

आइये जानें यह चार संदेश और संकेत क्या हैं।

सबसे पहले उन चार संदेशों की बात करें जो यमराज सामान्य मृत्यु से पहले हर किसी को भेजते हैं। आपने देखा होगा कि जब उम्र बढ़ने लगती है      तो सबसे पहले क्या होता है। व्यक्ति के बाल सफेद होने लगते हैं। दरअसल इसे पहला संदेश माना जाता है कि अब उम्र बढ़ रही है मोह की दुनिया से बाहर निकलना शुरु करो।

दूसरा संदेश जब कुछ और उम्र बढ़ती है तब प्राप्त होता है इस समय व्यक्ति के दांत गिरने लगते हैं। दांत का गिरना यह बताता है कि व्यक्ति का शरीर कह रहा है मुझे मुक्ति की जरुरत है मेरा मोह अब मत करो।

तीसरा संदेश होता है व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रिय कमजोर पड़ जाती है व्यक्ति की सुनने और देखने की क्षमता कम हो जाती है। इस समय यमराज कहते हैं अब दुनिया की बातें सुनना छोड़कर आत्म चिंतन और मनन करो ताकि मुक्ति में परेशानी नहीं आए।

चौथा संदेश होता व्यक्ति की कमर झुक जाती है, शरीर अपना बोझ उठाने में असमर्थ हो जाता है और उसे सहारे की जरुरत पड़ जाती है। यमराज समझाते हैं कि बाहरी सहारा लेने की बजाया अब ईश्वर का सहारा लो वही तुम्हें कर्मों के फल से उत्तम लोक में स्थान दिला सकते हैं। जो मनुष्य यमराज के इन चार संदेशों को नहीं समझता है वही व्यक्ति नर्क में जाकर यमराज से दंड पाता है।

कई बार अल्पायु में भी मृत्यु व्यक्ति के प्राण हर लेते हैं। लेकिन ऐसे में भी 10 संकेत मनुष्य को प्राप्त होते हैं जिन पर गौर किया जाय तो जान सकते हैं कि मृत्यु अब करीब है। पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी छवि नही आए या उनकी परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के शरीर त्यागने का समय नजदीक आ चुका है। मृत्यु के नजदीक आने पर व्यक्ति की आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है और उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नजर नहीं आते जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं वह सारे कर्म व्यक्ति की आंखों के सामने से इस प्रकार गुजरते हैं जैसे किसी फिल्म को आप उलटा देख रहे हों यानी जीवन के अंतिम कर्म से लेकर जन्म तक की सभी घटनाएं आंखों के सामने तैरती चली जाती है। जिनके कर्म अच्छे होते हैं उन्हें अपने सामने एक दिव्य प्रकाश नजर आता है और व्यक्ति मृत्यु के समय भी भयभीत नहीं होता। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब मृत्यु की घड़ी निकट आती है तो यम के दो दूत मरने वाले प्राणी के सामने आकर खड़े हो जाते हैं। जिनके कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें अपने सामने यम के भयंकर दूत खड़े दिखते हैं और वह भयभीत होता रहता है। शरीर त्याग करने के अंतिम समय में व्यक्ति की आवाज भी खत्म हो जाती है और वह बोलने की कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता है। आवाज घरघराने लगती है जैसे किसी ने गला दबा रखा हो। आत्मा जीवन की सभी घटनाओं को यानी कर्मों को अपने साथ लेकर शरीर को त्याग देती है और यमदूत व्यक्ति के अभौतिक शरीर को अपने साथ लेकर यमराज के दरबार की ओर ले जाते हैं। व्यक्ति के मृत्यु के बाद पापी मनुष्य को ढाई मुहूर्त में यानी लगभग 24 घंटे में यमदूत वायुमार्ग से यमलोक ले जाते हैं। यहां यमराज व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं इसके बाद यमदूत वापस व्यक्ति की आत्मा को लेकर पृथ्वी पर आते हैं।


सैकड़ों साल बाद मंगल का मंगल संयोग बना है. 2 मई बुधवार को शाम 4 . 19 मंगल मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे. आपको सात महालाभ मिलेगा. मंगल उच्च के हो जाएंगे. मंगल लगभग सात महीने तक मकर राशि में उच्च के होंगे. मंगल 6 नवम्बर तक उच्च के रहेंगे. बीच में दो  महीने 26 जून से 27 जुलाई तक वक्री रहेंगे. पौने दो साल पहले 2016  में भी मंगल उच्च के हुए थे. इतने ज्यादा लाभ नहीं दिए थे. मंगल उच्च का होगा तो सात महा लाभ देगा. आपका कारोबार अच्छा चलेगा. नौकरी में उन्नति होगी. जीवन सुखी होगा.

मंगल हिम्मत देगा. संघर्ष के लिए ताकत देता है. करियर अच्छा करता है –डॉक्टर ,सैनिक या पुलिस की नौकरी देता है.

मंगल  दोष को कम कर देता है. मांगलिकों की शादी हो जाती है

लोगों में गुस्सा कम हो जाता है

हम बात करेंगे मंगल क्या लाभ देगा और उपाय क्या होगा

सात लाभ कौन कौन से होंगे, क्या उपाय करें

2 मई को दो राजयोग बन रहे है

एक सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है

इसमें मंगल मकर  राशि  में उच्च के हो रहे है ,

सात महालाभ मिलेगा

1 -चुनाव ,नौकरी या व्यापार का कोई नया कॉन्ट्रैक्ट होगा

2 कुछ  लाभकारी मकान जमीन गाड़ी सोना चांदी आदि की खरीद बिक्री होगी

3 यात्रा करना या विदेश यात्रा सफल होगी

4 मुकदमा हुआ हो या नहीं हुआ तो भी आपकी जीत होगी -शत्रु हार जाएंगे

5 प्रेम विवाह का प्रयास करना सफल होगा

6 कोई उद्देश्य को पाने के लिए पूजा हवन सफल होगा

7 किसी भी परीक्षा या कॉम्पिटिशन में सफलता मिलेगी

हनुमान जी    बहुत लाभ देने वाले होते है

पूजन से  चारों दिशाओं से मंगल ही मंगल होगा

लाल वस्त्र पहने ,  लाल गुलाब  फूलों की माला हनुमान जी को चढ़ाएं

बूंदी का प्रसाद  चढ़ाएं

लाल मसूर और लाल वस्त्र का दान करें

 आपको लोन मिलेगा, आपका क़र्ज़ ख़तम करेगा

सभी लोन लेना चाहते हैं

क्रेडिट कार्ड का लोन भी बढ़ जाता है

बैंक, एडुकेशन, होम, कार या अन्य वाहन, बिजनेस खेती में लोन धड़ल्ले से दे रहें हैं

पढ़ाई ,घर गाड़ी व्यापार खेती के लिए बहुत रुपया पैसा चाहिए

आप भी लोन लेना चाहते हो ,ताकि आप लोन पर उच्च शिक्षा घर गाड़ी ले सको

ताकि अच्छा बिजनेस  या अच्छी  खेती  कर सको

मंगल उच्च का है – व्रत कर सकते हैं –मंगल  पूजा होगी

ताँबा धारण करें

हनुमान जी को साथ  मनाएं

हनुमान जी की पूजा भी कर सकते है

तीन -तीन बेलपत्र पर नारंगी सिंदूर लगाकर  चढ़ाएं

गुड की खीर का भोग लगाएं

व्यापार या शेयर बाज़ार में सफलता के लिए उपाय कर दें

9 लड्डू और 9 केले हनुमान जी को चढ़ाएं

मूंग का हलवा  हनुमान जी को चढ़ाएं और बाँट दें

लाल रूमाल में गुड बांधकर मजदूर को दान  करें.

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से |  अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us+91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:-  सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


मानव जीवन में आवास का अत्यधिक महत्व है और आवास  निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता होती है. भूमि अलग अलग तरह की होती है, और हर भूमि की अलग अलग तरंगें होती हैं. जिस तरह की भूमि होती है, उसमें रहने वाले व्यक्ति के भाग्य पर वैसा ही असर पड़ता है. सही भूमि का चुनाव करके अगर हम उसका प्रयोग करें तो भाग्य को और भी ज्यादा मजबूत बना पाएंगे.

भूमि किस किस तरह की होती है?

– समतल भूमि, जो हर तरफ से बराबर हो, यह सर्वोत्तम भूमि है

– कूर्मपृष्ठ भूमि, जो बीच में ऊंची और चारों तरफ से नीची हो, यह उत्तम भूमि है

– गजपृष्ठ भूमि, जो नैऋत्य या वायव्य कोण में ऊंची हो, यह भी उत्तम भूमि है

– दैत्य भूमि, जो आग्नेय कोण या उत्तर दिशा में ऊँची हो, यह अधम भूमि है

– नाग भूमि, कहीं लम्बी, कहीं समतल, कहीं ऊँची नीची भूमि हो तो यह नाग भूमि है, यह भी अधम भूमि है

कैसे करें भूमि का परीक्षण?

– भूमि के उत्तर दिशा के कोण में लगभग एक डेढ़ फुट गहरा व चौड़ा गड्ढा खोदें

– उसमे से सारी मिट्टी निकालकर उस निकाली गयी मिट्टी से गड्ढे को पुनः भरें

– यदि गड्ढा भरने पर मिट्टी शेष बचती है अर्थात अधिक निकलती है तो वो भूमि अत्यंत शुभ है

 – यदि मिट्टी शेष नहीं बचती और पूरा गड्ढा भर जाता है तो भूमि मध्यम होगी

– यदि मिट्टी कम पड़ जाती है, गड्ढा नहीं भर पाता तो यह भूमि अधम है

– अधम भूमि पर मकान का निर्माण न करवायें

क्या करें उपाय अगर गलत भूमि पर मकान बन गया है?

– पूरे मकान का शोधन करवाएं

– एक बार घर में श्रीमदभागवद का पाठ जरूर करवाएं

– घर के मुख्य द्वार पर चौखट फिरसे विधि विधान से लगवाएं

– घर में ढेर सारे तुलसी के पौधे लगाएं

– घर में थोड़ी सी भूमि खाली छोड़ दें.

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हिन्दू कैलेंडर में, ज्येष्ठ का महीना , तीसरा महीना है. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताक़तवर होता है , इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. इस महीने में धर्म का सम्बन्ध जल से जोड़ा गया है , ताकि जल का संरक्षण किया जा सके. इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस बार ज्येष्ठ मास 01 मई से आरम्भ हो रहा है.

ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

– इस माह में वातावरण और शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है

– अतः जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिये

– सन स्ट्रोक और खान पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है

– इस माह में हरी सब्जियां , सत्तू , जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है

– इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक होता है

इस माह में किस प्रकार जल (वरुण) देव और सूर्य की कृपा पायी जा सकती है?

– नित्य प्रातः और संभव हो तो सायं भी पौधों में जल दें

– प्यासों को पानी पिलायें , लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें

– जल की बर्बादी न करें , घड़े सहित जल और पंखों का दान करें

 – नित्य प्रातः और सायं सूर्य मंत्र का जाप करें

– अगर सूर्य सम्बन्धी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें

ज्येष्ठ के मंगलवार की क्या महिमा है?

– ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है

– इस दिन हनुमान जी को तुलसी दल की माला अर्पित की जाती है

– साथ ही हलवा पूरी या मीठी चीज़ों का भोग भी लगाया जाता है

– इसके बाद उनकी स्तुति करें

– निर्धनों में हलवा पूरी और जल का वितरण करें

– ऐसा करने से मंगल सम्बन्धी हर समस्या का निदान हो जाएगा

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