कालसर्प योग के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पूजा-पाठ, मंत्र और जप आदि कार्यो के अलावा कई ज्योतिषीय उपाय भी प्रचलन में हैं। यदि सभी ग्रह राहू या केतुके एक ओर स्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। राहु- केतु की भावगत स्थिति के आधार पर अनन्तादि 12 प्रकार केकालसर्प योग निर्मित होते हैं। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। लेकिन दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है। आइएजानते है किन परिस्थितियों में कालसर्प योग का असर होता है और किसमें नहीं।

जब राहू और केतु के बीच अन्य ग्रहों की उपस्थिति हो तब ही कालसर्प योग का असर होता है। वहीं जब केतु और राहु के बीच ग्रहों की उपस्थिति हो तब इस योग का असर नहीं होता है।

लग्न या चन्द्रमा राहु अथवा केतु के नक्षत्र में यानि आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा, अश्विनी, मघा , मूल में हो  तो तब यह अधिक प्रभावी होता है।

राहु की शनि, मंगल अथवा चन्द्रमा के साथ युति हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।

अनन्त, तक्षक एवं कर्कोटक संज्ञक कालसर्प योग में क्रमश लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश एवं लग्नेश की युति राहु के साथ हो तो यह योग अधिक प्रभावी

होता है।

कालसर्प योग के साथ-साथ शकट,केमदूम एवं ग्रहों की नीच अस्तंगत, वक्री स्थिति हो तो कालसर्प योग अधिक प्रभावी होता है।

जन्म लेने और फिर उसके बाद करियर के निर्माण के समय यदि राहु की अथवा इससे युति ग्रह की अथवा राहु के नक्षत्र में स्थित ग्रह की दशा हो तो कालसर्प योग का असर अधिक होता है।

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शिव उपासना के पांच अक्षर हैं – “नमः शिवाय”. शिव जी सृष्टि के नियंत्रक हैं. सृष्टि पांच तत्वों से मिलकर बनी है. इन पांच अक्षरों से सृष्टि के पाँचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है. हर अक्षर का अपना अर्थ और महत्व है. जब इन पाँचों अक्षरों को एक साथ मिलाकर जप किया जाता है तो सृष्टि पर नियंत्रण किया जा सकता है.

“न” अक्षर का अर्थ और महत्व क्या है?

– इसका अर्थ नागेन्द्र से है, अर्थात नागों को धारण करने वाले

– न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने से भी है

– इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दसो दिशाओं से सुरक्षित रहता है

“म” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा क्या है?

– इसका अर्थ मन्दाकिनी को धारण करने से है

– इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव से भी है

– नदियों , पर्वतों और पुष्पों को नियंत्रित करने के कारण इस अक्षर का प्रयोग हुआ

– यह जल तत्त्व को नियंत्रित करता है

“श” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका अर्थ शिव द्वारा शक्ति को धारण करने से है

– यह परम कल्याणकारी अक्षर माना जाता है

– इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है

“व” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका सम्बन्ध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है

– यह अक्षर शिव जी के प्रचंड स्वरुप को बताता है

– इसका प्रयोग ग्रहों नक्षत्रों को नियंत्रित करता है

“य” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इस अक्षर का अर्थ है कि , शिव जी ही आदि, अनादि और अनंत हैं

– यह सम्पूर्णता का अक्षर है

– इसमें शिव को सर्वव्यापक माना गया है

– इस अक्षर का प्रयोग शिव की कृपा दिलाता है

पंचाक्षरी मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ किस प्रकार कल्याणकारी होता है?

– पंचाक्षर मंत्र से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण की जा सकती है

– इसी प्रकार पंचाक्षरी स्तोत्र से शिव कृपा पायी जा सकती है

– पंचाक्षरी स्तोत्र से मन की हर तरह की समस्या दूर की जा सकती है

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सोमप्रदोष पूजा से महालाभ मिलेगा. इस दिन का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि सोम प्रदोष पूजा के साथ चन्द्रमा मेष राशि में भी है. ज्येष्ठ अधिक मास का सोमवार है. त्रयोदशी तिथि भी है, शुभ संयोग बना है. सोम प्रदोष दिवस पर शिव पूजन से चार लाभ मिलता है-धन ऐश्वर्य का लाभ, पति का सौभाग्य जागेगा, आपको भारी सफलता मिलेगी और कन्याओं का विवाह हो जाएगा. सबसे पहले शिव मंदिर पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, चावल और सफ़ेद फूल, तुलसी पत्ते और शहद चढ़ाएं. गर्मी भी है. मिटटी का जल पात्र लेंगें. मटकी, घड़ा या सुराही लेंगे. ठंडा पानी भरकर अगर शिव जी पर चढ़ा दें. हर हर महादेव बोलकर जल चढ़ाएं. शिव जी मनोकामना पूरी करेंगे. ठंडा पानी से राहु केतु और शनि शांत होंगे.

सोमवार प्रदोष की व्रत विधि

सोमवार का व्रत नहाकर  शुरू करें.

सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें.

सफ़ेद वस्त्र धारण करें.

शिव मंदिर जाकर, शिवजी को चावल, जल, दूध चढ़ाएं

शिवजी के साथ साथ माता गौरी की भी पूजा करें

शिवजी और गौरी को दूध-चावल की खीर का भोग लगाएं.

पति का सौभाग्य जागेगा, पति दीर्घायु होंगे

और आप भी सुखी हो जाएंगे

महिलाएं मासिक शिवरात्रि के अलावा

सोमप्रदोष का व्रत रखें

और मंदिर में शिव लिंग की

ख़ास पूजा करें

सोमवार को शनि का उत्तरा फाल्गुनी

नक्षत्र भी है

शिव लिंग को पहले दही से मलकर स्नान करवाएं

चंदन का तिलक लगाकर

शिवलिंग का श्रृंगार करें

और इसपर शुद्ध शहद से अभिषेक करें

और माँ पार्वती को सुहाग का लाल सिन्दूर

लाल वस्त्र चढ़ाएं

और बेल फल का भोग लगाएं

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ज्योतिष में राशियों का विशेष महत्व है. राशि से व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है. आइए जानते हैं हर राशि के लिए कौन सी राशियां अनुकूल नहीं होती हैं

मेष- मेष राशि के जातकों के लिए मिथुन, कन्या और वृष राशि के लोग बहुत अनुकूल नहीं होते. इन राशि वालों से इनको धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको धन के मामले में या धन के लेन देन में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. धोखे से बचने के लिए इनको नित्य भगवान गणेश को दूब अर्पित करनी चाहिए.

वृष– वृष राशि के जातकों को धनु, मीन और मेष राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको विवाह और प्रेम के मामले में धोखा मिलने के योग होते हैं. धोखे से बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.

मिथुन– मिथुन राशि के जातकों को मेष, वृश्चिक और सिंह राशि अनुकूल नहीं होती, यहाँ से इनको धोखा मिल सकता है. इनको आम तौर पर धोखा संपत्ति और वाहन के मामले में मिलता है. इससे बचने के लिए इनको नियमित रूप से हनुमान जी को लाल फूल अर्पित करना चाहिए.

कर्क– कर्क राशि के जातकों को मिथुन, कन्या और कुम्भ राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर कारोबार और नौकरी में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. अगर कर्क राशि के लोग नित्य भगवान शिव की आराधना करें तो धोखे से बच सकते हैं.

सिंह– सिंह राशि के जातकों को वृष, तुला और मकर राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको विवाह और संतान के मामलों में धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.

कन्या– कन्या राशि के जातकों को मेष, वृश्चिक और धनु राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इनको धोखा, धन और धन के लेन देन के मामले में होने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको हनुमान चालीसा का नित्य प्रातः पाठ करना चाहिए.

तुला– तुला राशि के जातकों को वृश्चिक, धनु और मीन राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इनको धोखा आम तौर पर संपत्ति और प्रेम के मामलों में मिलने की सम्भावना होती है. इससे बचने के लिए इनको नियमित रूप से भगवान कृष्ण की आराधना करनी चाहिए.

वृश्चिक– वृश्चिक राशि के जातकों को मिथुन, कन्या, तुला राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर नौकरी और कारोबार में धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.

धनु– धनु राशि के जातकों को वृष,कन्या,और मकर राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर व्यवसाय में या जमीन जायदाद में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इससे बचने के लिए इनको भगवान शिव को नियमित जल अर्पित करना चाहिए.

मकर– मकर राशि के जातकों को कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको भावनात्मक धोखा मिलता है जैसे विवाह और प्रेम के मामलों में. इससे बचने के लिए इनको शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.

कुम्भ राशि– कुम्भ राशि के जातकों को मेष,धनु और मीन राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको धोखा धन और रूपये पैसे के मामले में ही मिलता है. इससे बचने के लिए इनको पीपल के नीचे शनिवार को दीपक जलाना चाहिए.

मीन– मीन राशि के जातकों को वृष,तुला और कुम्भ राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको प्रेम और विवाह के मामलों में धोखा मिलता है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः पौधों में जल डालना चाहिए.

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पीपल का वृक्ष हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है. मुख्य रूप से इसको भगवान विष्णु का स्वरूप मानते हैं. इसके पत्तों, टहनियों यहां तक कि कोपलों में भी देवी-देवताओं का वास माना जाता है. कहा जाता है कि पीपल के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शीर्ष में शिव जी निवास करते हैं.

शाखाओं, पत्तों और फलों में सभी देवताओं का निवास होता है. यह प्राकृतिक और आध्यात्मिक रूप से इतना महत्वपूर्ण है कि भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि, “वृक्षों में मैं पीपल हूं”. वैज्ञानिक रूप से पीपल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बहुत ऑक्सीजन पैदा करता है.

पीपल के वृक्ष से शनि का सम्बन्ध क्या है?

– पीपल के वृक्ष के गुण शनि से काफी मिलते जुलते हैं.

– इसके अलावा पीपल को शनि के ईष्ट श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है.

– पीपल से सम्बन्ध रखने वाले पिप्पलाद मुनि ने ही शनि को दंड दिया था.

– तबसे माना जाता है कि, पीपल की वृक्ष की पूजा करने से शनि की पीड़ा शांत होती है.

– पीपल के वृक्ष की उपासना किसी भी रूप में करने से शनि कृपा करते हैं.

पीपल की पूजा से शनि की किन किन समस्याओं में लाभ होता है?

– अगर अल्पायु का योग है तो वह योग समाप्त होता है.

– अगर रोग और लम्बी बीमारी का योग है तो वह भी दूर हो जाता है.

– वंश वृद्धि की समस्या और संतान की समस्याओं का निवारण हो जाता है.

– इसको लगाने और संरक्षण करने से शनि की दशाओं का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.

पीपल और शनि शान्ति के उपाय-

– संतान प्राप्ति का उपाय.

– एक पीपल का वृक्ष लगवाएं.

– उसमे जल डालें, और उसकी रक्षा करें.

– हर शनिवार को इसके नीचे खड़े होकर शनि मन्त्र का जाप करें.

शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए-

– पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल के दीपक हर शनिवार को जलाएं.

– इसके बाद वृक्ष की नौ बार परिक्रमा करें.

– “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें.

नियमित धन लाभ के लिए-

– शनिवार को पीपल का एक पत्ता उठा लाएं.

– उस पर सुगंध लगाएं.

– पत्ते को अपने पर्स में रख लें.

– हर महीने पत्ते को बदल लें.

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हमारे ऊपर और हमारे आस पास की घटनाओं पर ग्रहों का कुछ न कुछ प्रभाव मौजूद रहता है. यह प्रभाव अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी. अपने आस पास की घटनाओं को समझकर हम यह जान सकते हैं कि इस समय कौन सा ग्रह हमारे ऊपर कैसा प्रभाव डाल रहा है. उस प्रभाव को समझ कर हम आने वाली बहुत सारी समस्याओं से बच सकते हैं.

घर में सीलन आने लगे तो

– घर में अचानक सीलन आने लगे तो समझना चाहिए कि शनि की स्थिति ठीक नहीं है

– घर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य ख़राब होता है , मुकदमेबाजी और कर्जों की नौबत आ जाती है

उपाय

– घर में पर्याप्त सूर्य के प्रकाश की व्यवस्था करें

– घर की महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार करें

– नित्य प्रातः और सायंकाल पूजा स्थल पर दीपक जलाएं

खाने में चीटियाँ लगने लगें तो

– खाने की मीठी चीज़ों में थोड़ी बहुत चीटियाँ लगें तो यह बुरा लक्षण नहीं है

– परन्तु अगर खाने की हर चीज़ में चीटियाँ लगने लगे तो इसका अर्थ है – मंगल अच्छा नहीं है

– इसके कारण परिवार में मतभेद होने लगते हैं , भाई भाई में तनाव और अलगाव की नौबत आ जाती है

उपाय

– जहाँ भी चीटियाँ दिखाई दें वहां थोडा सा आटा डाल दें

– हर मंगलवार को घर में सुन्दरकाण्ड का पाठ करें

– इस दिन घर में मीठी चीज़ का भोग हनुमान जी को लगायें

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शादी में अड़चन है. उम्र बढ़ गयी है या शादी नहीं हो पा रही है. शादी में कई बार बाधाएं भी आती हैं. किसी किसी को जीवन साथी से सुख नहीं मिलता है. पति-पत्नी में बहुत क्लेश होता है. जीवन साथी अच्छा मिल जाय तो जीवन सफल हो जाता है. दाम्पत्य जीवन का भविष्य उज्जवल हो जाता है.

शादी अच्छी ना हो, कारण क्या है

पिछले जन्म के पाप कर्म हों

कुडली में पितृ दोष हो

सप्तम भाव का ग्रह स्वामी या स्त्री का गुरु ग्रह कमजोर हो

पुरुष का शुक्र कमजोर हो

पाप कर्मों से बहुत धन कमाया हो

पराया धन, जमीन या मकान गलत तरीके से हड़पा हो

परायी स्त्रियों पर बुरी नज़र हो

आपका स्वभाव धार्मिक ना हो, दूसरों को दुःख या कष्ट पहुंचाते हो

गौरी शंकर रुद्राक्ष पहने

शुभ विवाह का उपाय आगे बताएँगे

गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करें

गौरी शंकर और सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें. जब दो रुद्राक्ष जुड़े होते हैं, उसे गौरी शंकर रुद्राक्ष कहते हैं

चार -पांच छह मुखी रुद्राक्ष कोई भी जुड़ा हो सकता है. एक रुद्राक्ष शंकर जी और दूसरा रुद्राक्ष माँ पार्वती होती है

दोनों प्रसन्न हो तो शादी हो जाती है

इसको धारण करने से माँ पार्वती और शंकर जी प्रसन्न होते है

शादी की बाधा दूर होती है

ग्रह बाधा और पितृ दोष बाधा दूर होती है

गौरी शंकर रुद्राक्ष पूजा पाठ कराकर

लाल धागे में सोमवार गुरुवार या शुक्रवार को धारण करें

उत्तम जीवन साथी के लिए क्या करें

कुंडली दिखाकर स्त्री और पुरुष उपाय करें

गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करें

साथ ही पितृ दोष पूजा कराएं

एक बार अच्छे से पितरों का श्राद्ध करें

बुरी आदतें छोड़कर पूजा पाठ करें

पराई स्त्रियों का सम्मान करें

अपने पति या पत्नी को सम्मान दें — क्लेश ना करें –प्यार दें

माता पिता का अपमान ना करें ,बल्कि उनकी सेवा करें

हर माह धन ,अनाज फल दान करें

दूसरों धन ,मकान और ज़मीन ना हड़पे

जीवन साथी को ना सताएं ना स्त्री को अपमानित —

जीवन साथी को प्यार दें

अच्छा जीवन साथी पाने के लिए के लिए क्या करें

कोई मांगलिक है

शनि राहु और केतु शादी में बाधा डाल रहे हैं

शादी तो हुई लेकिन पति-पत्नी में क्लेश है

शनि की साढ़े साती. शनि राहु और केतु की महादशा

क्लेश कराता है

उपाय
गौरी शंकर रुद्राक्ष के साथ सात मुखी रुद्राक्ष पहने

शनि का सरसों तेल ,राहु का नारियल और केतु का ग्रे वस्त्र दान करें

शनि राहु केतु शांति के लिए नवग्रह पूजन कराएं

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हिन्दू संस्कारों में अभिवादन की परंपरा पायी जाती है. अभिवादन के कई तरीके भी हैं. हाथ जोड़कर प्रणाम करना, और चरण स्पर्श करना अभिवादन ही है परन्तु चरण स्पर्श करना एक विशेष आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है. सही तरीके से चरण स्पर्श करके अद्भुत लाभ हो सकते हैं. इससे भाग्य बेहतर हो सकता है, संकट मिट सकते हैं और ईश्वर की अनुभूति हो सकती है.

चरण स्पर्श से लाभ क्यों होते हैं?

– हर व्यक्ति के अंदर एक विशेष तरह की ऊर्जा होती है

– यह व्यक्ति के हाथों और पैरों की अँगुलियों में प्रवाहित होती रहती है

– यह ऊर्जा स्पर्श से एक दूसरे तक पंहुच जाती है

– हाथों से पैरों को स्पर्श करते ही व्यक्ति ऊर्जा खींच लेता है

– इसी प्रकार से सर पर हाथ रखते ही व्यक्ति अपनी ऊर्जा दे देता है

– अगर ऊर्जा शुभ है तो तत्काल लाभ होता है

चरण स्पर्श करने के नियम क्या हैं?

– चरण, उसी के स्पर्श करें, जिसके प्रति मन में श्रद्धा हो

– और जो श्रद्धा के योग्य हो

– अगर झुककर चरण स्पर्श कर रहे हैं तो हाथों की अँगुलियों से पैरों का अंगूठा छुएं

– अगर घुटनों के बल बैठकर कर रहे हैं तो अपना सर चरणों में रक्खें

– साष्टांग प्रणाम केवल अपने गुरु या ईष्ट को करें, अन्य किसी को नहीं

– महिलाओं को साष्टांग प्रणाम करना मना है

– जब भी कोई चरण स्पर्श करे तो उसके सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दें `

– माता पिता को अपनी पुत्रियों से चरण स्पर्श नहीं करवाने चाहिए

चरण स्पर्श करके कैसे ग्रहों को अनुकूल करें?

– पिता के चरण स्पर्श करने से सूर्य की पीड़ा समाप्त होती है

– माँ के चरण स्पर्श करने से चन्द्रमा अनुकूल होता है

– स्त्री के चरण स्पर्श करने से बुध और शुक्र मजबूत होंगे

– भाई और बहन के चरण स्पर्श करने से मंगल की समस्याएं दूर होंगी

– वृद्ध व्यक्ति के चरण स्पर्श करने से बृहस्पति मजबूत होगा

– सात्विक, सदाचारी और ईमानदार व्यक्ति के चरण स्पर्श से शनि, राहु, केतु नियंत्रित होंगे

– संतों और महात्माओं के चरण स्पर्श करने से हर तरह की बाधा दूर होती है

– समस्त ग्रहों की पीड़ा शांत होती है

साभार…………….

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समस्त सृष्टि के ऊर्जा और प्रकाश का कारण सूर्य ही है. सूर्य को स्वास्थ्य, राज्य, औषधि, पिता तथा खाद्य पदार्थ का कारक माना जाता है. सूर्य से नाम यश और राज्य पद मिलता है.

किसी भी तरह की स्वास्थ्य की समस्या के पीछे सूर्य ही होता है. सूर्य के मजबूत होने से जीवन की लगभग हर समस्याएं हल होती चली जाती हैं.

सूर्य को मजबूत करने के सरल तरीके और उपाय क्या हैं?

– सूर्य को बहुत सारे तरीकों से मजबूत कर सकते हैं.

– परन्तु अर्घ्य देने से सूर्य हर तरह से अनुकूल हो जाता है.

– सूर्य को देखते हुए जल चढाने को अर्घ्य देना कहा जाता है.

– इससे सूर्य के साथ साथ नौ के नौ ग्रह मजबूत हो जाते हैं.

– मात्र सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान किया जा सकता है.

क्या है सूर्य को अर्घ्य देने की विधि?

– अर्घ्य नदी में रहकर भी दे सकते हैं और घर पर भी.

– उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना सर्वोत्तम होता है.

– इसके अलावा नवोदित रहने तक सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है.

– जल देने के पूर्व व्यक्ति का स्नान कर लेना जरुरी है.

– अर्घ्य देते समय अगर सफेद वस्त्र धारण किए जाएं तो सर्वोत्तम परिणाम मिलेंगे.

– लोटे या मिट्टी के बड़े पात्र से जल देना सर्वश्रेष्ठ है.

जल देने के समय किन-किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

– सुबह जल्दी से जल्दी अर्घ्य देने पर ही इसका लाभ हो सकता है.

– सूर्य की रौशनी जब चुभने लगे तब जल देना अनुकूल नहीं होता.

– अर्घ्य देने के बाद मंत्र जाप करने से विशेष लाभ होता है.

– बिना स्नान किये हुए अर्घ्य नहीं देना चाहिए.

– अगर जल चढ़ाने के के बाद इसके छीटें पैरों पर पड़ते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं होता.

– जो लोग भी सूर्य को अर्घ्य देते हैं उन्हें अपने पिता और परिवार का विशेष सम्मान करना चाहिए.

विशेष उद्देश्यों के लिए विशेष तरह से सूर्य को अर्घ्य कैसे दें?

– शिक्षा और एकाग्रता के लिए जल में नीला रंग मिलाएं.

– स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए-रोली या लाल चन्दन मिलाएं.

– शीघ्र विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए हल्दी मिलाएं.

– इंटरव्यू में सफलता के लिए – जल में लाल गुड़हल का फूल डालें.

– पितर शांति और बाधा के निवारण के लिए तिल और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें.

– जीवन में सभी हिस्सों से लाभ के लिए सादा जल अर्पित करें.

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जब भी किसी घर में बेटी का जन्म होता है, तभी से उसके माता-पिता उसके विवाह के विषय को लेकर चिंतित होने लगते हैं।
समय रहते बेटी की शादी करना उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद होता हैं। ऐसे में अगर बेटी सुयोग्य हो लेकिन फिर भी
उसकी शादी में बांधा आ रही हो तो संभव है कि उसकी कुंडली में कोई ग्रह दोष हो। आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे
इन बाधाओं को झट से दूर किया जा सकता है।

कुंडली में अगर बृहस्पति अच्छा न हो तो विवाह में बाधा आती है। इसलिए सबसे पहले बृहस्पति को मजबूत करें। बृहस्पति को अनुकूल
करने के लिए केले का दान करें, सर्वोत्तम होगा। अगर बृहस्पति के कारण विवाह ही न हो पा रहा हो तो विद्या का दान करें।

अगर किसी कन्या का विवाह नहीं हो रहा हो वह अपने नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर रोजाना स्नान करें।
इस उपाय से विवाह के योग बनने लगेंगे।

विवाह नहीं होने पर तीन गुरुवार तक लगातार शाम को पांच तरह की मीठे व्यंजन, हरी इलायची की जोड़ी के साथ केले के पेड़ को
जल चढ़ाना चाहिए और शुद्ध घी का दीया भी जलाना चाहिए। इसे जल्दी शादी के योग बन जाते है।

लड़की की शादी में देरी होने पर लड़की को गुरुवार के दिन केले के वृक्ष का पूजन करना चाहिए और इस दिन केले नहीं खाने चाहिए।
शादी के मार्ग प्रशस्त हो जाते है।

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