पितृ पक्ष, जो कि हिन्दू परंपराओं में प्रमुख है, पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आत्मा को आराम देने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होता है। यह दिवस श्राद्ध, पिंडदान, और तर्पण के रूप में कई धार्मिक क्रियाओं के साथ मनाया जाता है।

  • 29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध
  • 30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध
  • 01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध
  • 02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध
  • 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध
  • 04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध
  • 05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध
  • 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध
  • 07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध
  • 08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध
  • 09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध
  • 11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध
  • 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध
  • 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध
  • 14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या

निम्नलिखित हैं पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने के कुछ मुख्य नियम और विधियाँ:

1. तर्पण के प्रकार: तर्पण एक महत्वपूर्ण श्राद्ध कार्य है जिसमें आप पितरों के लिए अर्पण करते हैं। तर्पण के 6 प्रकार होते हैं:
– देव-तर्पण
– ऋषि-तर्पण
– दिव्य-मानव-तर्पण
– दिव्य-पितृ-तर्पण
– यम-तर्पण
– मनुष्य पितृ तर्पण

2. तर्पण की तैयारी: तर्पण के लिए दिन के निम्नलिखित समय में तैयारी करें: सुबह, दोपहर, और सायं। तर्पण सामग्री में तिल, अक्षत, फूल, और जल शामिल होती है।

3. श्राद्ध करने का समय: पितृ पक्ष के दौरान, श्राद्ध को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ अमावस्या तक के दिनों में करना उपयुक्त माना जाता है।

4. श्राद्ध की तैयारी: घर को साफ-सफाई करें और उपयुक्त रंगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध रहकर पितरों के लिए विशेष भोजन तैयार करें।

5. भोजन का प्रसाद: पितरों के लिए भोजन के रूप में खीर और दूध का प्रसाद बनाएं, और भोजन के बाद उनके लिए ध्यान करें।

6. दान करें: गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी, और नमक के दान करें।

7. ब्राह्मण का सत्कार: श्राद्ध में निमंत्रित ब्राह्मण को खाने के बाद पैर धोने के बाद संकल्प करने के लिए बुलाएं, और उन्हें दान दें।

8. अभिवादन और आशीर्वाद: ब्राह्मण से स्वस्तिवाचन करवाएं और उनसे गृहस्थ और पितरों के प्रति शुभकामनाएं प्राप्त करें।

9. अदितीय ध्यान: पितृ पक्ष के दौरान सायंकाल के समय श्राद्ध नहीं करना चाहिए, और यदि दो तिथियों का योग एक ही दिन हो, तो उस दिन भी नहीं करना चाहिए।

10. श्राद्ध में सफेद फूल: श्राद्ध में सफेद फूलों का ही उपयोग करें।

पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान, और तर्पण का महत्वपूर्ण होता है, और इन नियमों और विधियों का पालन करके आप इस धार्मिक प्रक्रिया को समर्पित तरीके से कर सकते हैं।