– वट अमावस्या के पूजन की प्रचलित कहानी है उस कहानी के अनुसार सावित्री अश्वपति की कन्या थी, उसने सत्यवान को पति रूप में स्वीकार किया था। सत्यवान जंगल में लकड़ियां काटने के लिए जाता था। सावित्री अपने नेत्रहीन सास-ससुर की सेवा करने के बाद में सत्यवान के पीछे जंगल में चली जाती थी।
एक दिन सत्यवान को जंगल में लकड़ियां काटते समय चक्कर आ गया और वह पेड़ से नीचे उतरकर बैठ गया। उसी समय भैंसे पर सवार होकर यमराज सत्यवान के प्राण लेने के लिये आए। सावित्री ने उन्हें पहचाना और सावित्री ने कहा कि आप मेरे पति सत्यवान के प्राण न लें।
लेकिन यमराज नहीं माने और वे सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे। सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी ओर यमराज से सत्यवान के प्राण लौटाने की प्रार्थना करने लगी।
यमराज ने मना किया और वापस लौटने को कहा, मगर वह वापस नहीं लौटी। आखिरकार सावित्री के पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने वर रूप में अंधे सास-ससुर की आंखें दीं और सावित्री को 100 पुत्र होने का आशीर्वाद दिया और सत्यवान के प्राण को छोड़ दिया।
वट पूजा से जुड़ी हुई धार्मिक मान्यता के अनुसार ही तभी से महिलाएं इस दिन को वट अमावस्या के रूप में पूजती हैं।
माना जाता है कि वटवृक्ष कि पूज करने से ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वटवृक्ष की परिक्रमा करने पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। गांवों-शहरों में जहां कहीं पर भी वटवृक्ष लगा होता है, वहां सुहागिनों का समूह पुरे विश्वास से पूजा करने के लिये जाती दिखाई देती है
सुहग्ने अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिनें वट सावित्री पूजा करती हैं। गांवों/शहर में कई स्थानों पर वटवृक्ष के नीचे सुहागिनों का समूह नजर आता है। सुहाग की कुशलता की कामना के साथ सुहागिनें परंपरागत तरीके से वटवृक्ष की पूजा कर व्रत रखती है। उनके द्वारा 24 पूड़ी, 24 पकवान और इतने ही प्रकार के फल व अनाज भी चढ़ाए जाते है। उसके बाद वटवृक्ष को धागा लपेटकर पूजा करके पति की लंबी उम्र की कामना की करती है
कई जगहों पर देखा जाता है कि वट की पूजा के लिए महिलाएं घरों से ही गुलगुले, पूड़ी, खीर व हलुए के साथ सुहाग का सामान लेकर जाती है। कहीं-कहीं पर जल, पंचामृत भी लेकर जाती है, जहां वे वटवृक्ष के 3 या 5 फेरे लगाकर कच्चे धागे को पेड़ पर लपेटकर वस्त्र सहित चंदन, अक्षत, हल्दी, रोली, फूलमाला, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी इन्हें पहनाकर पति की लंबी उम्र के लिए वट से आशीर्वाद प्राप्त करती है।
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