आज हम आपको भगवान शिव जी से जुड़ी कुछ बातें बताएँगे| आज हम आपको बताएँगे की क्यों और किस लिए भगवान शिव को भी पिटाई पड़ी| ये कहानी शिव जी और उनके भक्त विधापति से संबंधित है |
शिव जी को देवों के देव महदेव के नाम से जाना जाता है और हम ये सोच भी नही सकते की महादेव को कोई पिटाई भी लगा सकता है वो भी गर्म और जलती हुई लकृी से| जी हाँ ये सच्ची कहानी १३६० ई. के इर्द-गिर्द की है| उस समय बिहार के विस्फी गांव मे एक विधापति नाम का कवि रहता था| कवि विधापति शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे| उनकी भक्ति को देखकर और उनसे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हे दर्शन देने के लिए नीचे धरती पे आए तब उन्हें अपने भक्त के यहाँ पे नौकर के रूप काम करने की इच्छा हुई| इसी कारण वश एक दिन वो एक अनपढ़ और गंवार का भेष बना के अपने भक्त के यहाँ पे नौकर के रूप मे नौकरी करने के लिए आ गये| जब वो घर पहुँचे तो विधापति ने उनसे नाम पूछा तब प्रभु ने अपना नाम उगना बताया| फिर प्रेमपूर्वक उन्होने उगना से कहा की वो उन्हे नौकरी पे नही रख सकता क्योंकि उस समय उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी| लेकिन उगना ने ज़िद नही छोड़ी और कहा की उन्हें सिर्फ़ दो वक्त का भोजन चाहिए| ये सुनकर विधापति की धर्मपत्नी ने कहा की उगना को नौकरी पे रख ले, अपनी पत्नी की बात सुनकर उगना को नौकरी पे रख लिया गया |
एक दिन विधापति राजा के दरबार मे जाने के लिए निकल रहा था और उसने अपने साथ उगना को भी ले गया| उस समय बहुत तेज गर्मी पड़ रही थी जिस कारण वश विधापति को बहुत तेज प्यास लग गयी तो उन्होने तुरंत उगना से कहा की वो जल्दी कही से पानी ले के आए नही तो वो प्यास के मारे मर जाएगा| तो उगना ने तुरंत अपने जटा को खोलके गंगा जल ले आए और उन्होने अपने भक्त को दे दिया |
जैसे ही उन्होने पानी को पिया तो उनकी प्यास तो मिट गयी लेकिन वो आश्चर्य हो के सोचने लगें की इस सुनसान जंगल मे गांग जल के स्वाद के जैसा पानी कहाँ से आ सकता हैं| तो उन्हें उगना पे सक हुआ और उन्हे सोचा की ज़रूर उगना स्वयं महादेव के अवतार हैं ये सोचते ही उन्होने उगना का पाँव पकड़ के शिव जी का जप करने लगा| फिर शिव जी ने उन्हें अपने असली रूप मे दर्शन दिया| ये देखकर विधापति शिव के चरण मे गिर गया और उनसे माफी माँगने लगा| ये सुनकर महादेव ने कहा की माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही है,
मैं तुम्हारे साथ उगना बन के रहना चाहता हूँ| लेकिन याद रहे किसी को भी मेरे बारे मे वास्तविकता नही पता लगना चाहिए| कहा जाता है की जिनके साथ भगवान रहते हैं उन्हे किसी चीज़ की ज़रूरत नही होती उसी प्रकार विधापति को भी ईश्वर का सानिध्य मिल गया था |
एक दिन की बात है विधापति की धर्मपत्नी सुशीला ने उगना को कोई काम दिया| लेकिन उगना ने काम को ठीक से नही समझा और वो ग़लती कर बैठे| ये देखकर सुसीला बहुत नाराज़ हो गई और उसने चूल्हे से जलती लकड़ी को निकाला और उगना की पिटाई करने लगी| ये देखकर विधापति के मुंह से अचानक निकल पड़ा की तुम जिसकी जलती लकड़ी से पिटाई कर रही हो वे साक्षात महादेव है| ये सुनते ही महादेव अर्न्तध्यान हो गये |
ये देखकर विधापति पागलों की भांति उगना-उगना कहके जंगल की और भागने लगा महादेव को खोजने लगा| ये देखकर महादेव को दया आ गई और उन्होने विधापति को दर्शन दिया और कहा की मैं अब तुम्हारे साथ नही रह सकता हूँ| लेकिन उगना के रूप मे मैं तुम्हारे साथ रहा इसके याद के रूप मे मैं तुम्हें शिवलिंग दे रहा हूँ और मैं इस शिवलिंग मे वास करूँगा| उसके बाद भगवान शिव वहाँ से अंतर्ध्यान हो गये और उस स्थान पे शिवलिंग प्रकट हो गया| आज वो शिवलिंग मधुबनी जिला में भवानीपुर गांव मे है जो उगना महादेव के नाम से विख्यात है|