आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे मे बताएँगे जहाँ रात को जाना मना हैं| उस मंदिर मे जिस व्यक्ति ने रात को जाना चाहा उसकी मौत हुई| जी हाँ सतना जिले के मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत हैं| उस त्रिकूट पर्वत पे माँ मैहर देवी का मंदिर स्थापित हैं| मैहर नाम का मतलब माँ का हार| ये पर्वत मैहर नगरी से 5 किलोमीटर दूर स्थित हैं| उस पर्वत के मध्य मे माँ शारदा देवी का मंदिर हैं जिसमे माता निवास करती हैं|
इस मदिर से संबंधित बहुत सारी मान्यताएं हैं| माना जाता है की इस मंदिर मे प्रत्येक रात्रि आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी दर्शन करने के लिए माता के मंदिर मे आते हैं| इसलिए इस मंदिर को प्रत्येक रात्रि को बंद कर दिया जाता हैं| क्योंकि जो भी आज तक इस मंदिर मे रात्रि मे रुका हैं या कोशिश की है उसकी मृत्यु हुई हैं|
हज़ारों वर्षों से आल्हा और उदल कर रहे हैं दर्शन:
वहाँ उपस्थित लोगों के अनुसार, आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी जिन्होनें पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वे माता शारदा के बहुत बड़े भक्त थे| इन दोनों ने जंगल मे घूमते हुए माता शारदा देवी के इस मंदिर की ढूँढा और फिर मिलके उन दोनों ने माता की पूजा अर्चना किया| इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर मे 12 वर्षों तक देवी की उपासना और घोर तपस्या किया और माँ को प्रसन्न किया| माता ने खुश होके उन्हे अमरत्व का वरदान दिया| आल्हा माँ शारदा को शारदा माई कह के पुकारते थे तभी से माँ शारदा का मंदिर शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हुआ| आज भी ये माना जाता है की माता शारदा का दर्शन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं| क्योंकि जब भी उस मंदिर के पुजारी माता का पूजा करने के लिए प्रातः काल मंदिर का द्वार खोलते हैं तो हमेशा उस मंदिर मे माता की पूजा की हुई होती हैं| इस मंदिर के पीछे पहाड़ के नीचे एक तलाब है, जिसे आल्हा के नाम से जाना जाता हैं और यहाँ से 2 किलो मीटर दूर ही अखाड़ा हैं कहा जाता है की इस जगह पे उदल और आल्हा कुश्ती खेला करते थे|
रात मे मंदिर बंद का रहस्य:
माता का मंदिर प्रत्येक रात बंद कर दिया जाता हैं| इसके पीछे एक रहस्य हैं| कहा जाता हैं की रात के समय ही वे दोनों भाई माँ के दर्शन करने के लिए आते हैं| दोनों भाई पूजा के साथ-साथ माँ का श्रृंगार भी करते हैं| इस कारण वश रात्रि के समय यहाँ ठहरने के लिए मनाही हैं|
भारत का एकमात्र मंदिर:
पूरे भारतवर्ष मे माँ शारदा का एकमात्र मंदिर सतना का मैहर मे हैं| त्रिकूट पर्वत पर ही माता शारदा के साथ-साथ काल भैरवी, श्री हनुमान, देवी काली, माँ दुर्गा, गौरी-शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती हैं|
चार भागों मे विभक्त हैं यहाँ की चढ़ाई:
त्रिकूट पर्वत पर माता देवी शारदा का मंदिर भू-तल से छह सौ फिट ऊँची हैं| अगर आप मंदिर तक जाना चाह रहे हैं तो आप 300 फिट तक की यात्रा गाड़ी से कर सकते हैं| माता तक जाने के लिए चढ़ाई चार भागों मे विभक्त हैं| प्रथम भाग की चढ़ाई मे चार सौ अस्सी सीढियाँ (480) पार करना होता हैं| द्वितीया भाग मे दो सौ अट्ठासी (228) सीढ़ियाँ को पार करना पड़ता हैं| इस यात्रा खंड मे पानी तथा अन्य पेय पदार्थ मौजूद हैं| इसी भाग मे माता आदिश्वरी माई का प्राचीन मंदिर हैं| तृतीय भाग मे 147 सीढ़ियाँ हैं| और चतुर्थ भाग मे 196 सीढ़ियाँ हैं जिन्हे पार करनी पड़ती हैं| इन चार भागों को पारकर ही माँ के दर्शन किए जा सकते हैं|
किस प्रकार पहुँचे:
हवाई मार्ग के द्वारा:
सतना से लगभग 160 कि.मी. की दूरी पे जबलपुर है तथा 140 कि.मी. कि दूरी पे खजुराहो एयरपोर्ट हैं| इन दोनों मे किसी भी जगह उतरकर सड़क मार्ग से आप सतना पहुँच सकते हैं|
रेल मार्ग द्वारा:
मैहर जिले तक पहुँचने के लिए देश के किसी भी शहर से मैहर तक आने के लिए आपको रेल-गाड़ी मिल जाएगी|
सड़क मार्ग:
मैहर जिला देश के कई शहर के सड़क से जुड़ा हैं| इस कारण वश यहाँ अपने निजी गाड़ी या बस से पहुँच सकते हैं|