हमने हमेशा काली मंदिरों में पकवान, नारियल जैसे चीजें चढाई है और चढ़ाते हुए देखा भी है। लेकिन क्या आपने कभी काली मंदिर में नूडल्स, राईस, वेजिटेबल डिशेस और चॉप्सी को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हुए देखा है। आज हम आपको ऐसे ही काली मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कोलकाता के तांगरा इलाके में चाइना टॉउन है जहाँ पे कई समय से चाइनीज रेस्टोरेंट, जुटे की दुकान, जैसे दुकाने चलती आ रहे है। इस जगह पे स्थित है एक काली मंदिर जिसपे चाइनीज लोगों की अटूट श्रद्धा है, जो चाइनीज काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कोलकाता में चाइनीज का एक बहुत बड़ा कम्युनिटी है जो हिंदुओं से कोई भी मेल-मिलाप नहीं रखता है। लेकिन जब काली पूजा आती है तो यहाँ के चाइनीज लोग अपने-अपने नौकरी से एक दिन की छुट्टी लेकर यहाँ दर्शन के लिए आते है। और सामान्य दिनों में भी इस मंजीरों में चाइनीज लोग अपने जूते-चप्पल उतारके मंदिर में शीश झुकाते दिखेंगे।
पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार ये मंदिर ६० साल से स्थापित है। कहा जाता है की इस जगह पे एक बहुत पुराण पेड़ था जिसके निचे दो काले रंग के पत्थर थे, जिस पे वहां के लोग सिंदूर लगा के पूजा करते थे। ये सब चीजें देखकर वहां के चाइनीज कम्युनिटी(तांगरा) के लोगों ने भी इसे पूजन शुरू कर दिया।
एक समय की बात है एक बार एक चाइनीज लड़का जो केवल दस वर्ष का था वो बीमार हो गया। जब डॉक्टर के पास उसे ठीक करने ले जाया गया तो तो भी वो ठीक नहीं हुआ, फिर उसके माता-पिता ने उसी पेड़ के निचे उसे लेटा दिया और कई दिनों तक वे अपने बच्चे के साथ उसी पेड़ के निचे ही रहे। वहां रहते-रहते कुछ दिनों के अंदर उस बच्चे की बीमारी ठीक होती चली गई। उस समय से ही इस मंदिर को चाइनीज लोग मानने लगे। इस जगह के चाइनीज में कुछ बुद्धिस्ट और कुछ क्रिश्चिन हैं।
पूजा करने के तरीके:
दिवाली की रात लगभग 2000 से 3000 चाइनीज इस पूजा को देखने और माँ काली के दर्शन के लिए आते है और वे पुष्पों की माला बनाना, मंदिरों की सजावट करना, प्रसाद का निर्माण करने जैसे सेवा भी करते हैं। इस मंदिर में पूजा और मंत्रोच्चारण हिन्दू रीती-रिवाजों से ही होता है, लेकिन इसमे कुछ चाइनीज ट्रेडिशन को भी शामिल किया जाता है। जैसे चाइनीज लोग अपने तरह के लंबे चाइनीज मोमबत्ती, अगरबत्ती का उपयोग करते हैं। अगर कभी आप इस मंदिरों के सामने से गुजरेंगे तो इसकी खुशबु आपको खुद ही बता देगी।
इस मंदिर से जुडी रोचक बातें:
- आज से 12 साल पहले इस मंदिर को ग्रेनाइट से बनाया गया था। पहले के समय में जो दो काले पत्थर थे मान काली के प्रतिमा के रूप में, आज भी वो इस मंदिर में उपस्थित है। इस मंदिर को इसी कम्युनिटी के लोगों ने अपने डोनेशन से बनाया है।
- प्रसाद के रूप में माँ के भोग के लिए लोग नूडल्स, चौप्सी, फ्राइड राईस, और वेजिटेबल की डिशेज को चढ़ाते हैं। और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण भी करते हैं।
- यहाँ के लोग चाइनीज तरीकों से बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए हाथ से बने पेपर को मंदिर में जलाते हैं। यहाँ देवी को प्रणाम भी चाइनीज तरीकों से ही होता है। यहाँ के सामान्य लोग रोज प्रति दिन सुबह-शाम माँ की आरती करते हैं।
- यहाँ पे सबसे ज्यादा चाइनीज महिलाओं का विश्वास है। इसके पीछे कारण ये है की यहाँ पे कुछ महिलाओं ने पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा कराइ थी जो की सफल हो गई। इस कारण से इस मंदिर में महिलाओं का सबसे ज्यादा विश्वास है।
कहाँ स्थापित है ये मंदिर:
पता: माथेश्वरताला रोड, तांगरा, कोलकाता, वेस्ट बंगाल
फोन: 033-2665 3265
कैसे पहुचें:
हवाई जहाज के द्वारा:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल हवाईअड्डा है जो इस जगह से 17 किलो मीटर की दुरी पे स्थित है।
रेल के द्वारा:
इस जगह पे आने के लिए रेल के द्वारा हावड़ा जंक्शन पहले आना पड़ेगा। फिर यहाँ से कैब, बस के द्वारा इस मंदिर तक पंहुचा जा सकता है।