आज मकर संक्रांति है। ये पर्व पुरे धूम-धाम से भारतवर्ष में मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है की ये पर्व भारत वर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है और विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। आज हम जानेंगे की किन जगहों पे किस नाम से और किस तरीकों से मकर संक्रांति मनाई जाती है।
१) पोंगल:
तमिलनाडु राज्य की प्रमुख फसल गन्ना और धन दोनों ही जनवरी में पक कर तैयार हो जाते हैं। और किसान जब अपने खेतों में फसल को लहलहाते देखता है तो वो ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करने के लिए पोंगल का पर्व मनाता है। इस पर्व में मुख्यतः बैलोंकी पूजा की जाती है, क्योंकि किसान बैलों के माध्यम से ही खेतों को जोतते हैं।
इस दिन गाय और अन्य पशुओं को सजाया जाता है। उनके सिंगों के ऊपर भी चित्रकारी की जाती है। तत्पश्च्यात नए फसल का भोग भगवान को चढ़ाया जाता है। और गाय व बैलों को गन्ना और चावल कीलय जाता है। कुछ जगहों पे तो बैलों के दौड़ की प्रतियोगिता भी कराई जाती है। पोंगल के तीसरे दिन बहन अपने भाई की मंगलकामना की प्रार्थना करती है तथा भाई अपनी बहन को उपहार भी देते हैं।
२) माघ बिहू:
मकर संक्रांति के दिन असम में बिहू का पर्व मनाया जाता है। इसे माघ बिहू के नाम से जाना जाता है। असम में ये सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे लोग बड़े धूम-धाम से मानते हैं। ये पर्व भी फसल के पकने की ख़ुशी में ही मनाया जाता है। माघ बिहू के प्रथम दिन को उरुका के नाम से जाना जाता है। इस दिन असम में सभी लोग नदी के किनारे या खुली जगहों पे धान के पुआल से अस्थाई छावनी तैयार करते हैं जिसे भेलाघर के नाम से जाना जाता है।
इसी रात सारे लोग भेलाघर में ही रात्रि का भोजन ग्रहण करते हैं। इस छावनी के पास ही चार बांस को लगाकर उस पे पुआल और लकड़ी से ऊँचें गुम्बज का निर्माण करते है। इसे मेजी कहा जाता है। उरुका के दूसरे दिन प्रातः काल उठकर स्नान करके मेजी को जलाकर माघ बिहू की शुरुआत की जाती है। गाँवके सभी लोग इस मेजी के चारों तरफ एकत्रित हो के मंगल कामनाएं करते हैं। और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग उस मेजी में विभिन्न वस्तुओं को चढातें हैं। उसके बाद मेजी की आधी जाली लकड़ियों और उसके भस्म को खेतों में छिड़का जाता है। मान्यता है की ऐसा करने से भूमि की उर्वरा शक्ति तेज होती है। इस दिन लोग लोकनृत्य भी करते हैं।
३) खाते हैं तिल के बने पकवान:
भारत वर्ष में मकर संक्रांति के दिन मुख्य रूप से तिल के पकवान बनाये जाते हैं। असम में भी तिल के विबिन्न तरह के पकवान बनाये जाते हैं। माघ बिहू के दिन असम में लोग एक खास तरह के पकवान बनाते हैं जिसे पिठा कहा जाता है।
इसे बनाए के लिए असम के लोग कुछ दिन पहले से काम शुरू कर देता हैं। जैसे अपने हाथों से चावल की पिसाई करके व्यंजन बनाते हैं। इन व्यंजनों में चुंगा पिठा, घिला पिठा, तिल पिठा, नारियल पिठा तथा तिल व नारियल के लडडू भी बनाये जाते हैं।
४) उत्तर प्रदेश में खाई जाती है खिचड़ी:
मकर संक्रांति का पर्व उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन इस जगह के लोग खिचड़ी का सेवन करते हैं और खिचड़ी का दान भी करते हैं। खिचड़ी का आयोजन मौसम के मिले-जुले रूप का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। खिचड़ी में दाल-चावल मिलाकर बनाया जाता है जिसके पीछे कारण है की चावल की तासीर ठंडी होती है और दाल गरम। यही समायोजन ऋतुओं का भी होता है इसी कारण से आहार में खिचड़ी खाया जाता है।ताकि बदलते मौसम में स्वास्थ्य ठीक रहे।