वास्तु दोष किसी भी कारण से उत्पन्न हो जाता है। शास्त्रों में हमें हमेशा सभी दिशाओं को प्रणाम करने के लिए बताया गया है। आज हम इन्हीं दिशा मंत्रों के द्वारा अपने घर में उत्पन्न हुए वास्तु दोषों को किस प्रकार ख़त्म कर सके ये जानेंगे।
शास्त्रों के अनुसार ८ दिशाएं होती है और सभी दिशाओं में देवी-देवता वास करते हैं।दिशा मंत्र सभी दिशाओं के लिए है जो उन दिशाओं में उपस्थित देवी-देवताओं को खुश करके उनकी कृपा प्रदान करता है। इसका जप करके हम वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।
१) उत्तर दिशा मंत्र:
उत्तर दिशा जिसके स्वामी धन के स्वामी कुबेर और देवता बुध है। कहा जाता है यदि हमारे घर का उत्तर दिशा दूषित है तो इससे घर में आर्थिक समस्या बनी रहती है। और इसके साथ ही घर में उपस्थित महिलाओं को कष्ट भी उठने पड़ते है।
- उत्तर दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए मंत्र:
ॐ बुधाय नमः अथवा ॐ कुबेराय नमः
२) उत्तर-पश्चिम दिशा मंत्र:
इस दिशा को वायव्य दिशा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिशा के स्वामी चन्द्रमा और देवता वायु देव है। यदि घर की ये दिशा दूषित या दोषपूर्ण है तो इससे घर में उपस्थित लोगों को सर्दी-जुकाम एवं छाती से सम्बंधित रोग होते हैं।
- उत्तर-पश्चिम दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए मंत्र:
ॐ चन्द्रमसे नमः अथवा ॐ वायवै नमः
३) पूर्व दिशा मंत्र:
सूर्य देव इस दिशा के स्वामी और इन्द्र देव इस दिशा के देवता है। इस दिशा के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए इन मंत्रों का जप करें। इसका जप करने से मनुष्य को मान-सम्मान एवं यश की प्राप्ति होती है।
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।। (सूर्य मंत्र) अथवा ॐ इन्द्राय नमः (इंद्र देव मंत्र)
४) उत्तर पूर्व दिशा मंत्र:
देव बृहस्पति इस दिशा के स्वामी और भगवान शिव इस दिशा के देवता है। इसलिए इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित रूप से देव गुरु बृहस्पति के मंत्र का जप करें। इसके साथ ही यदि संतान और सुख की प्राप्ति चाहते हैं तो भगवान शिव का जप करें।
- उत्तर पूर्व दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए मंत्र:
ॐ बृं बृहस्पतये नमः (देव बृहस्पति) और ॐ नमः शिवाय (भगवान शिव)
५) दक्षिण दिशा मंत्र:
ग्रह मंगल इस दिशा के स्वामी हैं और याम इस दिशा के देवता है। इस दिशा को वास्तु दोषों से मुक्त करने के लिए पूर्णतः इन दोनों में से किसी के भी मंत्रों का नियमित रूप से जप करें। शास्त्रों के अनुसार यम मंत्र के पाठ से मानव को जाने-अनजाने किये गए पापों से छुटकारा भी मिल जाता है।
- दक्षिण दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए मंत्र:
ॐ अं अंगारकाय नमः (मंगल ग्रह) अथवा ॐ यमाय नमः (यम देव)
६) दक्षिण पूर्व दिशा मंत्र:
इस दिशा को आग्नेय दिशा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिशा के स्वामी शुक्र और देवता अग्नि है। इस दिशा के वास्तु दोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन भगवान शुक्र के मंत्र का जप करें। और व्यपार में उन्नति और सफलता के लिए अग्नि देव के मंत्र का जप करें।
ॐ शुं शुक्राय नमः (देव शुक्र) और ॐ अग्नेय नमः (अग्नि देव)
७) पश्चिम दिशा मंत्र:
शनि ग्रह इस दिशा के स्वामी और वरुण देव इस दिशा के देवता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन को कभी भी इस दिशा में नहीं बनाना चाहिए। यदि इस दिशा में वास्तु दोष है तो उसे दूर करने के लिए शनि देव के मंत्रों का जप करें।ये मंत्र शनि देव के कुप्रभावों के साथ-साथ जाने-अनजाने किये गए बुरे कर्मों से छुटकारा भी दिलाता है।
- शनि देव मंत्र:
ॐ शं शनैश्चराय नमः
८) दक्षिण-पश्चिम दिशा मंत्र:
इस दिशा के स्वामी राहु ग्रह और देवता नैऋत्य है। इसलिए इस दिशा को नैऋत्य के नाम से जाना जाता है। इस दिशा से वास्तु दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र और नैऋत्य देव के मंत्र का जप करें। इससे घर के लोग बिमारियों से बचे रहते हैं।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए मंत्र:
ॐ रां राहवे नमः (राहु देव) अथवा ॐ नैऋताय नमः (नैऋत्य देव)