१९ अप्रेल शुक्रवार को चैत्र पूर्णिमा है. यह दिन बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है | इस दौरान कोई भी नया कार्य करना बहुत शुभ माना जाता है | चेत्र पूर्णिमा हनुमान जी के जनम दिवस के रूप में मनाई जाती है | शुक्रवार को पड़ने के कारण इस दौरान मंगल को चैत्र नक्षत्र भी है |
कैसे करे पूजन जिससे मिलेगा लाभ
- साम को लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो को दक्षिण मुँह करके स्थापित करे |
- खुद लाल आसन पे लाल वस्त्र पहनकर बैठे |
- घी का दीपक और चन्दन की अगरबत्ती या धुप जलाए |
- चमेली तेल में घोलकर नारंगी सिंदूर और चादी का वर्क चढ़ाये |
- इसके बाद लाल फूल से पुष्पांजलि दे.
- लड्डू या बूंदी के प्रसाद का भोग लगाए |
- दीपक से ९ बार घुमाकर आरती करे |
मंत्र = ॐ मंगलमूर्तिय हनुमंते नमः का जाप करे |
सम्पत्ति पाने के लिए करे विषेस पूजन :-
- हनुमान पूजा कोई भी स्त्री या पुरुष कर सकते हे |
- हनुमान जी पर जल चढ़ाने के बाद पंचामृत चढ़ाये |
- तील के तेल में नारंगी सिंदूर घोलकर चढ़ाये |
- चमेली की खुशबु (अर्क) या तेल चढ़ाये |
- हनुमान जी को लाल पुष्प ही चढ़ाये |
- हनुमान जी को गुड़, गेहू के आटे की रोटी और चूरमें का भोग लगाए |
मंत्र = श्री राम भक्ताय हनुमंते नमः का जाप करे |
सत्रु से परेशान हे तो करे ये उपाय :-
- हनुमान जी को “पीपल के पत्तो” पर नारंगी और सिंदूर से राम-राम लिखकर चढ़ा दे |
- एक नारियल के सूखे गोले को छेद कर उसमे शक्कर भरकर हनुमान जी को चढ़ाये |
- हनुमान जी को “लड्डू चढ़ा दे” |
- गुलाब की अगरबत्ती भी जला दे |
भूल कर भी ना चढ़ाये चरणामृत
बहुत कम ही लोगो को इस बात का ज्ञान हे की हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं किया जाता है साथ ही श्री बजरंग बलि की खंडित अथवा टूटी मूर्ति की पूजा करना भी वर्जित है | मांस-मदिरा आदि का सेवन करने के पसचात भूल कर भी हनुमान जी मंदिर ना ही जाएँ और ना ही उनकी पूजा करे |
क्या अंतर होता हे पंचामृत और चरणामृत में:-
किसी भी पूजा के बाद आपने पंचामृत और चरणामृत जरूर पिया होगा पर बहुत कम लोगो को ही इसकी महिमा के बारे में पता होगा चरणामृत का अर्थ होता हे भगवान के चरणों का अमृत और पंचामृत का अर्थ हे पांच पवित्र वस्तुओ से बना हुआ एवं दोनों को ही पीने से जहा भक्ति भाव उत्त्पनं होता है वही सेहत को भी लाभ मिलता है |