सुन्दरकाण्ड तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरित्र मानस के सात काण्ड(अध्याय) में सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है। माना जाता है की मनुष्य के जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी क्यों न हो, यदि उस समय सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाए तो सारी परेशानियों का नाश होता है।आइये आज हम सुन्दरकाण्ड पाठ के बारे में जानते हैं।
सुन्दरकाण्ड एक ऐसा अध्याय जिसमे एक भक्त की विजय को दर्शाया गया है। इसे पड़ने या सुनने के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है, जिसके अनुसार इस पाठ से मनुष्य के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति की बढ़ोतरी होती है। क्योंकि उन्होंने अपने आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति के द्वारा लंका पहुंचकर और माँ सीता का पता लगाए।
सुन्दरकाण्ड को इस नाम से क्यों जाना जाता है?
शास्त्र अनुसार जब श्री हनुमान, माँ सीता की खोज में लंका गए तब लंका त्रिकुटाचल पर्वत पे बसी थी। इस पर्वत के नाम से ही हमें पता चलता है ३ पर्वत। इन ३ पर्वतों में प्रथम सुबैल पर्वत, जिस स्थान पे महायुद्ध हुआ था। द्वितीय निल पर्वत, जिस स्थान पे राक्षस के महल थे। अंतिम तृतीये पर्वत सुन्दर पर्वत, जिस स्थान पे अशोक वाटिका निर्मित थी। इस वाटिका में ही माँ सीता और श्री हनुमना की भेंट हुई थी। इसीलिए इस अध्याय को सुन्दरकाण्ड कहा जाता है।
किस प्रकार करें सुन्दरकाण्ड पाठ:
शास्त्र अनुसार सुन्दरकाण्ड का पाठ यदि शनिवार और मंगलवार के दिन किया जाए तो ये सबसे प्रभावशाली साबित होता है। पाठ से पूर्व मनुष्य को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र को धारण करना चाहिए। उसके बाद किसी मंदिर के समीप अथवा घर में ही चौकी पे श्री राम भक्त के तस्वीर को स्थापित करें। और स्वयं आसान पर बैठ जाए।
तत्पश्च्यात भगवान के तस्वीर को फूल-माला, तिलक, चन्दन इत्यादि पूजा सामग्री अर्पण करें। घी का दीपक प्रज्वलित करें। उसके बाद श्री गणेश, भगवन शंकर और माँ पारवती, श्री राम और माँ सीता का स्मरण करें। उसके बाद अपने गुरुजनों को और अपने पितृदेवों को स्मरण करें।
उसके बाद मन-ही-मन ध्यान करके सुन्दरकाण्ड पाठ आरम्भ करें। सुन्दरकाण्ड पूर्ण होने पे हनुमान जी की आरती करें, उन्हें प्रसाद अर्पण करें। तथा वहां मौजूद सभी को बांटे।
सुन्दरकाण्ड पाठ के महत्त्व:
१) इस पाठ को करने से मनुष्य के अंदर आत्म-विश्वास की वृद्धि होती है। बुद्धि तीव्र होती है।
२) मानसिक समस्या से मुक्ति मिलती है। मन शांत होता है।
३) किसी भी तरह की ग्रहीय दोष हो तो उसमे भी राहत प्राप्त होता है।
४) यदि नौकरी में प्रमोशन न हो रहा हो या व्यापर अच्छा नहीं चल रहा हो तो इसका पाठ करना सबसे उत्तम है।
५) यदि कुंडली में शनि की साढ़े-साती चल रही हो तो उन्हें शनिवार के दिन सुन्दरकाण्ड पाठ अवश्य करना चाहिए, इससे इसका प्रभाव काम होता है।
ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|
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