वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर में किस दिशा में भगवान की मूर्ति रखना शुभ है

वास्तु शास्त्र जो हमें घर के निर्माण से लेकर उस घर में किस स्थान पे वास्तु को रखना शुभ और फायदेमंद होगा उसको बताता है। प्रत्येक घर में एक भाग मंदिर के लिए होता है। इसलिए मंदिर के निर्माण के समय भी कुछ नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है। वास्तु के अनुसार आज जानेंगे किस दिशा में मंदिर की स्थापना करना चाहिए तथा किस दिशा में देवी-देवता की की मूर्ति होना शुभ फल प्रदान करने वाला होता है।

 

मंदिर निर्माण स्थापना की दिशा:

१) घर या दुकान का ईशान कोण यानि की उत्तर-पूर्व दिशा। यह दिशा मंदिर के निर्माण के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

 

मूर्ति स्थापना की दिशा:

घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां या उनकी तस्वीर की स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा में होना शुभ होता है।

१) भगवान श्री गणेश, कुबेर, देवी लक्ष्मी, तथा नवग्रह की स्थापना मंदिर में इस प्रकार करनी चाहिए की उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो। ये दिशा इन देवी-देवताओं के लिए उत्तम है।

 

२) यदि घर के मंदिर में श्री हरी भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, सूर्य देव और कार्तिकेय की तस्वीर या मूर्ति है तो उनका मुख हमेशा पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ये दिशा इन देवी-देवताओं के लिए शुभ माना जाता है।

 

३) यदि घर के मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति हो तो उनकी तस्वीर या मूर्ति का मुख नैऋत्या अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ये शुभ माना जाता है।

 

ये समस्त जानकारियां वास्तु शास्त्र के अनुसार है|

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