धर्म शास्त्रों में रावण को प्रकांड पंडित और कई शास्त्रों का जानकार बताया गया है। रावण ज्योतिष विद्या में भी महान ज्ञानी था उसने ज्योतिष और तंत्र शास्त्र संबंधी ज्ञान के लिए रावण संहिता की रचना की थी। रावण संहिता में रावण ने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बाते बताईं हैं।

-जो व्यक्ति अपनी स्तुति करता है या फिर दूसरों से अपनी प्रशंसा सुनने का आदी हो जाता है उसे सफलता नहीं मिलती।

-जो व्यक्ति किसी विषम परिस्थिति के बीच में अपने गुरु को छोड़ देता है वह शापित हो जाता है।

-जो व्यक्ति दूसरों की संपत्ति या समृद्धि देखकर जलता है  वह व्यक्ति इस दुनिया में एक गरीब के बराबर माना जाता है और अगले
जन्म में उसे संकट का सामना करता है।

-किसी भी व्यक्ति को हमेशा अपने आपको विजेता नहीं मानना चाहिए भले ही आप हमेशा से जीतते आ रहा हो।

-रावण ने हनुमानजी को छोटा समझने की भूल की थी जिसके कारण सोने की लंका राख हो गई थी, इसलिए कभी भी अपने
दुश्मन को छोटा या कम शक्तिशाली नहीं समझना चाहिए।

-हमेशा अपने पूर्वजों को सम्मान दे और पूजा के दौरान इनका ध्यान रखने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता।

-किसी विवाहित पुरुष को अपनी पत्नी के लिए कोई कठोर और दुर्भावनापूर्ण शब्द नहीं निकलना चाहिए। पत्नी आपका आधा हिस्सा
है और आप उनके शुभचिंतक।

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


घर का मुख्य द्वार बहुत महत्वपूर्ण होता है. मुख्य द्वार से लक्ष्मी जी सम्पन्नता सुख समृद्धि और खुशहाली आती है. मुख्य द्वार गड़बड़ हो, वास्तु अनुसार अनुकूल ना हो तो दरिद्रता, बीमारी, गरीबी, क़र्ज़ संकट और दुश्मनी घर में घुसती है. आइए जानते हैं मुख्य द्वार का वास्तु कैसा होना चाहिए…

मुख्य द्वार पर गणेश जी रखें. रंगोली बनानी चाहिए. फूलों का गुलदस्ता रखें. घंटी लगाएं. सुन्दर परदे लगाएं. दरवाजे सुन्दर रंग के हों. काले-नीले ना हों.

दरवाजे  पर लाल सिंदूर से बाहर त्रिशूल, स्वास्तिक, ॐ लिखें. इससे घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.

उत्तर दिशा में मुख्य द्वार हो तो

यह दिशा बहुत शुभ होता है

मुख्य द्वार पर शुक्रवार को पीले गेंदे फूल की माला टांग दें

गणेश जी की फोटो लगाएं

घर के मुख्य द्वार को सौभाग्यशाली बनाएं

मुख्य द्वार का मुहं उत्तर पूर्व या दक्षिण पूर्व हो तो

बहुत अच्छा नहीं माना जाता है

गुरुवार और मंगलवार को दरवाजे के अंदर

एक पात्र में गुलाब की पंखुड़ियां पानी में भिगोकर रखें

एक पानी से भरा घड़ा दरवाजे के पास रखें

मुख्य द्वार पर लाल सिंदूर लगाकर रखें

सुख समृद्धि आएगी

दरवाजे का मुख दक्षिण पश्चिम हो या उत्तर पश्चिम दिशा में खुलता हो तो

बुधवार या सोमवार को उपाय करें

एक क्रिस्टल बॉल टांग दें या कृष्ण जी को चढ़ाकर एक बांसुरी टांग दें

शुक्रवार को मुख्य द्वार पर गुलाबजल वाला जल छिड़कें

मुख्य दरवाजा पूर्व दिशा में हो तो शुभ  माना जाता है

सुख समृद्धि के लिए उपाय  कर सकते हैं

किसी रविवार को एक जटावाला पानीवाला नारियल

लाल कपड़ा लपेटकर मुख्य द्वार पर टांग दें

हर महीने नारियल बदलते रहें

रविवार को  मुख्य द्वार पर तिल  तेल का दीपक जलाएं

दरवाजे का मुख पश्चिम दशा में हो तो शुभ नहीं  माना जाता है

इसका उपाय करें

सोमवार को दरवाजे पर लाल धागे में पांचमुखी

रुद्राक्ष टांग दें —दरवाजा लाल रंग से रंग  दें

दरवाजा दक्षिण की तरफ हो तो शुभ नही माना जाता है

दरवाजे पर मंगलवार को काले धागे में  एक निम्बुं और सात हरी मिर्च टांगें

हनुमान जी का मुखौटा लगाकर रखें

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राहु और केतु को नवग्रहों में छाया ग्रह कहा जाता है. सूर्य और चन्द्रमा के कटाव बिन्दुओं से इनका निर्माण होता है. सूर्य और चन्द्रमा पर ही जीवन आधारित है अतः इनके कटाव बिन्दु भी काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इनका प्रभाव अत्यन्त रहस्यमयी होता है और अक्सर समझ नहीं आता.

राहु पूरी तरह से नकारात्मक ग्रह होता है और नुकसान ही पहुंचाता है. ये छाया की तरह हर ग्रह के प्रभाव को कमजोर कर देता है. ये जीवन के जिस भाग पर असर डालता है उसमें विचित्र तरह की समस्या हो जाती है.

राहु किस तरह व्यक्ति के आहार-विहार पर असर डालता है?

– राहु व्यक्ति के अन्दर नकारात्मक ऊर्जा भर देता है.

– व्यक्ति की सोच, खान-पान आदि दूषित हो जाते हैं.

– ऐसे लोग फास्ट फूड, शीतल पेय और नशे के आदी हो जाते हैं.

– इनकी जीवनचर्या बिल्कुल अनिश्चित होती है.

इस असर को समाप्त करने के उपाय-

– नित्य प्रातः ब्रश करने के बाद तुलसी के पत्ते खाएं.

– स्नान के बाद सफेद चन्दन मस्तक, कंठ और नाभि पर लगाएं.

– भोजन हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें.

राहु व्यक्ति के काम और रोजगार पर किस तरह असर डालता है?

– ऐसे लोग आकस्मिक धन कमाने के चक्कर में रहते हैं.

– लॉटरी, शेयर बाजार और जुए-सट्टे में लग जाते हैं.

– इन्हे इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, तकनीक और शराब आदि के व्यवसाय में भी देखा जाता है.

– काम कुछ भी हो पर इन्हे बार-बार उतार चढ़ाव और बदलाव का सामना करना पड़ता है.

उपाय-

– शनिवार को पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करवाएं.

– गले में तुलसी की माला धारण करें.

– घर और दुकान में से अनुपयोगी वस्तुओं को हटा दें.

राहु पारिवारिक जीवन पर कैसे असर डालता है?

– पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं होता, अक्सर विवाह तनाव का कारण बनता है.

– एक से ज्यादा विवाह होने की सम्भावना होती है, विवाहेत्तर सम्बन्ध भी हो जाते हैं.

– पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं मिलती या मुकदमों में फंस जाती है.

– संतान उत्पत्ति में देरी होती है और एक संतान समस्या का कारण बनती है.

उपाय-

– नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें.

– सूर्यास्त के बाद राहु के मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का 108 बार जाप करें.

– हर सोमवार को सफेद चन्दन शिवलिंग पर लगाएं.

राहु किस तरह की बीमारियां देता है?

– त्वचा और मुंह के गंभीर रोग होने की सम्भावना.

– मूत्र रोग और कल्पना की बीमारियां.

– ऐसे लोगों को बड़ी बीमारियों के होने का वहम होता रहता है.

– कोई भी ऐसी बीमारी जो पकड़ में न आ रही हो.

उपाय-

– नीले धागे में बांधकर चन्दन गले में धारण करें.

– पीले रंग का रुमाल साथ में रखें.

– भोजन में दूध और दूध से बनी हुई चीजें जरूर ग्रहण करें.

– नित्य प्रातः और सायं 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें.

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चन्दन एक खास तरह की सुगन्धित लकड़ी है. इसकी सुगंध बेमिसाल होती है. जैसे-जैसे इसका पौधा बढ़ता है, वैसे ही इसके तने और जड़ों में सुगन्धित तेल का अंश भी बढ़ने लगता है.

इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, साज-सज्जा के सामान, सुगन्धित पदार्थ आदि बनाने में होता है. मुख्यतः चन्दन दो प्रकार का होता है- लाल और सफेद, दोनों का ही खूब प्रयोग किया जाता है.

चन्दन का धार्मिक महत्व क्या है?

– हिन्दू धर्म में चन्दन को अत्यंत पवित्र माना जाता है.

– पूजा के हर कार्य में चन्दन की लकड़ी, चन्दन का लेप और चन्दन के इत्र का प्रयोग किया जाता है.

– शिवलिंग का अभिषेक भी चन्दन से करने की परंपरा पाई जाती है.

– श्री हरि और उनके अवतारों के लिए सफेद चन्दन का लेपन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

– हालांकि देवी की उपासना में लाल चन्दन ज्यादा प्रयोग होता है.

– बौद्ध धर्म में चन्दन के प्रयोग से ध्यान करने की परंपरा बताई गई है.

– ज्योतिष में ग्रहों की समस्या के समाधान के लिए भी चन्दन का प्रयोग किया जाता है.

चन्दन का आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक प्रयोग क्या है?

– चन्दन से आयुर्वेद में तमाम तरह की औषधियां बनाई जाती हैं.

– चन्दन के चूर्ण को कुछ विशेष तरह के पदार्थों में मिलाकर आयुवृद्धि की औषधियां बनाई जाती हैं.

– ह्रदय रोग, त्वचा के रोग और मानसिक रोगों में चन्दन के तेलों का खूब प्रयोग होता है.

– सुगंध चिकित्सा और पंचकर्म में भी चन्दन का प्रयोग किया जाता है.

तिलक लगाने में चन्दन का किस तरह प्रयोग करें कि लाभ हो?

 – चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिस लें.

– पहले अपने इष्ट को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं.

– फिर स्वयं को मस्तक, कंठ और नाभि पर तिलक करें.

– देवी की उपासना में लाल और अन्य में सफेद चन्दन का प्रयोग करें.

मानसिक शान्ति, एकाग्रता और मानसिक रोगों से रक्षा के लिए चन्दन का प्रयोग कैसे करें?

– चन्दन का असली इत्र ले लें.

– रोज प्रातः स्नान के बाद दोनों हाथों की कलाइयों पर लगाएं.

– ह्रदय के बीचों बीच भी लगाएं.

– रोज पूजा के समय चन्दन की सुगंध वाली धूप बत्ती जलाएं.

अगर राहु-केतु परेशान कर रहे हों तो चन्दन के प्रयोग से कैसे लाभ होगा?

– चन्दन का एक छोटा सा टुकड़ा ले लें.

– इसे नीले कपडे में रखकर लाकेट की तरह बना लें.

– शनिवार की शाम को इसे लाल धागे में गले में धारण करें.

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आप हमेशा चाहते हैं कि आपका ऑफिस खूब चले, कभी बंद ना हो. आपके ऑफिस में खूब काम हो और धन आये तो इसके लिए आपको वास्तु का ध्यान रखना पड़ेगा. ऑफिस का कमरा वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए. ऑफिस का दरवाजा भी पूरब या उत्तर की तरफ खुलना चाहिए, इन सभी बातोें का आपको ध्यान रखना होगा.

आइए जानते हैं कि आपके ऑफिस का वास्तु कैसा हो

एक आकर्षक साइन बोर्ड मेटल प्लास्टिक का लगा सकते हैं.

कलर ब्लू, ब्लैक या ग्रे ना हो

बोर्ड में  लाल केसरिया पीला ,गुलाबी  कथई या सफ़ेद रंग का प्रयोग करें

ऑफिस के मुख्य द्वार का रंग भी ऐसा ही हो

ऑफिस द्वार के सामने काला ब्लू या ग्रे कलर ना हो

फ़ाइल की अलमारी दक्षिण या पश्चिम हो

कम्प्यूटर ईशान कोण में ना रखें –आग्नेय कोण यानी

दक्षिण पूर्व दिशा में रखें किचेन ,पेंट्री या कैंटीन

दक्षिण पूर्व दिशा में होना चाहिए

कोई भी टॉयलेट पूर्व ,उत्तर पूर्व ईशान कोण में ना रखें

ऑफिस में बड़े अधिकारी का कमरा कैसा होना चाहिए-

बड़े अधिकारी का कमरा दक्षिण या पश्चिम होना चाहिए

उत्तर पूर्व में टॉयलेट ना हो

पूर्व उत्तर कोने में भगवान जी को रखें

मार्केटिग या सेल्स वाले उत्तर पश्चिम वायव्य कोण में बैठें

केशियर  उत्तर दिशा में बैठे -जहां सब पर नज़र रखें

ऑफिस के रंग कैसा होना चाहिए-

ऑफिस की दीवारों का रंग हल्का हो

परदे  टेबल क्लॉथ सब हलके रंग के हों

ऑफिस में हिंसक पशु पक्षी की मूर्ती फोटो ना हो

उदासी भरे ,रोते हुए ,डूबता सूरज या जहाज

ठहरे पानी की पेंटिंग्स या निराश करनेवाली चीज ना रखें

हर दीवार पर भगवान की फोटो या कलेंडर ना लगाएं

हँसते ,खिलखिलाते लोगों ,बच्चों या  खिलाडियों ,अच्छे नेताओं

महापुरुषों की फोटो लगाएं

प्रेरणा देनेवाले वाक्य लिखकर टांग दें .

ऑफिस में सफाई रोज होनी चाहिए-

ऑफिस में बंद पड़ी घड़ी ,टेलीफोन

फैक्स ,स्कैनर ,फोटोकॉपी मशीन ,या अन्य

गंदी या बंद चीजें ना रखें

टूटी क्रॉकरी ,टूटा शीशा या रद्दी आदी ना रखें

ऑफिस की सफाई रोज होनी चाहिए.

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शंख का हमारे धर्म में बड़ा महत्तव होता है. शंख मुख्य रूप से एक समुद्री जीव का ढांचा होता है. पौराणिक रूप से शंख की उत्पत्ति समुद्र से मानी जाती है और कहीं कहीं पर इसको लक्ष्मी जी का भाई भी मानते हैं. कहते हैं जहाँ शंख होता है वहां लक्ष्मी जरूर होती हैं. मंगल कार्यों के अवसर पर और धार्मिक उत्सवों में भी इसको बजाना शुभ माना जाता है.

घर में पूजा-वेदी पर शंख की स्थापना की जाती है. हमेशा ध्यान रहे कि शंख को दीपावली, होली, महाशिवरात्रि, नवरात्र, रवि-पुष्य, गुरु-पुष्य नक्षत्र आदि शुभ मुहूर्त में स्थापित किया जाना चाहिए

वैज्ञानिक रूप से शंख का क्या महत्व है?

विज्ञान के अनुसार शंख की ध्वनि महत्वपूर्ण होती है

वैज्ञानिकों के अनुसार शंख-ध्वनि से वातावरण का परिष्कार होता है.

इसकी ध्वनि के प्रसार-क्षेत्र तक सभी कीटाणुओं का नाश हो जाता है.

शंख में थोडा सा चूने का पानी भरकर पीने से कैल्शियम की स्थिति अच्छी हो जाती है

शंख बजाने से ह्रदय रोग और फेफड़ों की बीमारियाँ होने की सम्भावना कम हो जाती है

इससे वाणी दोष भी समाप्त होता है

शंख कितने प्रकार का होता है और इनकी अलग अलग महिमा क्या है ?

शंख कई प्रकार के होते हैं और सभी प्रकारों की विशेषता एवं पूजन-पद्धति भिन्न-भिन्न है

शंख की आकृति के आधार पर सामन्यतः इसके तीन प्रकार माने जाते हैं

ये तीन प्रकार के होते हैं – दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख

भगवान् विष्णु का शंख दक्षिणावर्ती है और लक्ष्मी जी का वामावर्ती

  वामावर्ती शंख अगर घर में स्थापित हो तो धन का बिलकुल अभाव नहीं होता

इसके अलावा महालक्ष्मी शंख , मोती शंख और गणेश शंख भी पाया जाता है

सामान्य रूप से कैसे करें शंख का प्रयोग?

सफ़ेद रंग का शंख ले आयें

इसको गंगाजल और दूध से धोकर शुद्ध कर लें

इसके बाद गुलाबी वस्त्र में लपेट कर पूजा के स्थान पर रखें

प्रातः और सायं काल पूजा के बाद तीन तीन बार इसको बजाएं

बजाने के बाद इसको धोकर पुनः वहीँ रक्खें

शंख के प्रयोग में क्या सावधानियां रखें?

शंख को किसी वस्त्र में या किसी आसन पर ही रक्खें

प्रातःकाल और संध्या काल में ही शंख ध्वनि करें , हर समय शंख न बजाएं

शंख को बजने के बाद धोकर ही रखें, अपना शंख किसी और को न दें और न ही दूसरे का शंख प्रयोग करें

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फूल हमारी श्रद्धा और भावना का प्रतीक होते हैं. इसके साथ ही ये हमारी मानसिक स्थितियों को भी बताते हैं. ज्योतिष के अनुसार हर फूल के रंग और सुगंध का एक मतलब होता है. अलग-अलग प्रकार के फूल अलग तरह का प्रभाव पैदा करते हैं. हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि पूजा में वास्तविक फूल के अलावा मानसिक फूल भी अर्पित किए जा सकते हैं.  आइए जानते हैं कौन से फूल से क्या लाभ मिलता है.

गेंदे के फूल का महत्व और प्रयोग विधि?

– गेंदा वास्तव में एक फूल नहीं होता, यह छोटे-छोटे फूलों का एक गुच्छा है.

– गेंदा कई प्रकार का होता है, परन्तु सबसे ज्यादा उपयोगी और महत्वपूर्ण, पीले गेंदे का फूल होता है.

– गेंदे के फूल का सम्बन्ध, बृहस्पति नामक ग्रह से होता है.

– इसके प्रयोग से ज्ञान, विद्या और आकर्षण की प्राप्ति होती है.

– गेंदे के फूल के प्रयोग से आकर्षण क्षमता बढ़ जाती है.

– भगवान विष्णु को नियमित रूप से पीले गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं, इससे आपको संतान सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.

गुलाब के फूल का महत्व और प्रयोग विधि?

– गुलाब का फूल एक अद्भुत और चमत्कारी फूल है, जो रिश्तों पर सीधा असर डालता है.

– गुलाब के फूल की ढेर सारी किस्में पाई जाती हैं, परन्तु ज्योतिष और पूजा में लाल गुलाब का ही प्रयोग किया जाता है.

– लाल गुलाब मंगल से सम्बन्ध रखता है और इसकी खुश्बू का सम्बन्ध शुक्र से होता है.

– इसके प्रयोग से प्रेम, आकर्षण, रिश्तों और आत्मविश्वास का वरदान मिलता है.

– लक्ष्मी जी को नियमित गुलाब अर्पित करने से आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है.

– गुलाब देने से रिश्ते मजबूत होते हैं, प्रेम और वैवाहिक जीवन सुखद हो जाता है .

कमल का फूल-

– कमल का फूल शुद्ध रूप से दैवीय और आध्यात्मिक फूल माना जाता है.

– सफेद रंग का कमल अत्यंत पवित्र और ऊर्जा में सर्वश्रेष्ठ होता है.

– इसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से और दुनिया की समस्त ऊर्जा से है.

– कमल का फूल अर्पित करने का अर्थ, ईश्वर के चरणों में स्वयं को अर्पित कर देने से है.

– शिव जी या कृष्ण जी की स्थापना कमल के फूल के आसन पर करें, ईश्वर आपको गुरु रूप में प्राप्त होंगे.

– किसी भी एकादशी को कृष्ण जी को दो कमल के फूल अर्पित करें, आपकी संतान प्राप्ति की अभिलाषा पूरी होगी.

– अगर 27 दिन तक रोज एक कमल का फूल लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाय तो अखंड राज्य सुख की प्राप्ति होती है.

गुड़हल का फूल-

– गुड़हल का फूल अत्यंत ऊर्जावान माना जाता है.

– देवी और सूर्य देव की उपासना में इसका विशेष प्रयोग होता है.

– नियमित रूप से देवी को गुड़हल अर्पित करने से शत्रु और विरोधियों से राहत मिलती है.

– सूर्य जो, गुड़हल का फूल डालकर जल अर्पित करने से सूर्य की कृपा मिलती है.

– हर तरह की शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

मानसिक पुष्प-

– हर तरह के फूल से बढ़कर मानसिक फूल होता है.

– इसमें भी कमल का मानसिक फूल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.

– अलग अलग रंग के मानसिक फूल चढ़ाकर अलग अलग समस्याओं से राहत मिलती है.

– इस फूल को बनाने को जितना समय लगाएंगे, उतना ही अच्छा होगा.

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दुनिया में तीन तरह की ऊर्जा काम करती है- सकारात्मक, नकारात्मक और उदासीन. यह ऊर्जा हमारी सोच, व्यवहार, आदत और शब्दों से बनती है. हमारे अपने शरीर और घर में आम तौर पर सकारात्मक ऊर्जा होती है. जब किसी के सोच , स्वभाव और सम्पर्क से हमारे ऊपर नकारात्मक असर पड़ जाता है तो इसे हम नज़र लगना कहते हैं. नज़र लगने से हमारे स्वास्थ्य , सोच और प्रगति पर कुछ क्षण के लिए रुकावट आ जाती है. यह रुकावट काफी तेज होती है और एकदम से बिना कारण सब रोक देती है.

क्या होता है प्रभाव जब घर में नज़र दोष की समस्या हो?

– घर में नज़र दोष होने पर बिना कारण घर भारी लगता है

– घर के लोगों में आपसी कलह और क्लेश बढ़ता जाता है

– घर में बीमारियों में धन खर्च होता जाता है

– आम तौर पर बार बार रोजगार में उतार चढ़ाव हो सकता है

उपाय

– घर में बिना कारण कूड़ा कबाड़ न रक्खें

– घर के पूजा स्थान पर रोज शाम को दीपक जरूर जलाएं

– नित्य प्रातः और सायं घर में गुग्गल या चन्दन की अगरबत्तियां जलाएं

– घर के हर कमरे के दरवाजे पर ऊपर लाल रंग का स्वस्तिक लगाएं

– सप्ताह में एक बार घर में कीर्तन , भजन या कोई धार्मिक पाठ करें

क्या होता है प्रभाव जब काम या रोजगार में नज़र दोष की समस्या हो

– रोजगार पर नज़र दोष के कारण , नौकरी बार बार लगती छूटती है

– काफी लम्बे समय तक नौकरी के बिना रहना पड़ता है

– कारोबार पर नज़र दोष के कारण , काम एकदम से ठप हो जाता है

 – बिना कारण के ऐसा लगने लगता है कि व्यवसाय बंद हो जाएगा

– कारोबार में लगाया हुआ धन फंस जाता है

अगर किसी व्यक्ति को नज़र लग गयी हो तो उसके किस तरह के प्रभाव होते हैं?

– बिना कारण के व्यक्ति बीमार हो जाता है

– कारण और निवारण दोनों समझ नहीं आते

– व्यक्ति का मन बिना कारण के अशांत और ख़राब हो जाता है

– कभी कभी व्यक्ति अपने रिश्तों और चीज़ों को खुद ख़राब करने लगता है

उपाय

– जब भी ऐसा हो जाए, अपने थोड़े से बाल काट लें या दाढ़ी बना लें

– इसके बाद केवड़ा जल डालकर स्नान कर लें

– लाल मिर्च के एकाध बीज चबा लें

– नज़र दोष से हमेशा बचे रहने के लिए चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें

– और घर से बाहर निकलते समय गुड़ खाकर जाएँ.

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हमारे शास्त्रों में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हम जीवन में तरक्की, नाम, सुख-समृद्धि आदि प्राप्त कर सकते हैं। इन्हीं में से एक उपाय है, घर में छोटे मंदिर की स्थापना करवाना। मंदिर की स्थापना कराते समय यह ध्यान रखें कि इसमें जो भी प्रतिमा रखें, उनकी प्राण-प्रतिष्ठा जरूर हो। उसके बाद ही इन्हें स्थापित करें।

अहंकार एक ऐसा शब्द है, जो आपके ज्ञान, तरक्की, यश को हर लेता है। नाम और शोहरत कमानी है, तो अहंकार को त्यागना जरूरी है। धार्मिक ग्रंथों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि अहंकारी व्यक्ति का कभी भी नाम नहीं होता। जिस व्यक्ति के भीतर अहंकार का भाव आ जाता है, उसका विनाश निश्चित है। जो व्यक्ति प्रतिदिन भगवान का भजन-पूजन करता है, वह सब प्रकार के दुखों से मुक्त रहता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि आप अपनी राशिनुसार, देवी या देवता का नित्य पूजन करते हैं, तो इससे आपकी ख्याति दूर-दूर तक फैलती है और कार्यसिद्धि भी होती है।

यही नहीं, जिस घर में नित्य तुलसी पूजन होता है, उस घर के सदस्य खासकर परिवार के मुखिया और स्त्री विशेष लाभ कमाते हैं। गौमाता के भीतर सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। मान्यता है कि नित्य गाय को रोटी, हरा चारा खिलाने से जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है। गौ सेवा करने वाले लोगों के घर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है। इससे घर में सुख समृद्धि आती है।

लाभकारी है हनुमान यज्ञ

हिंदू धर्मशास्त्रों में हनुमान पूजन और यज्ञ का भी विशेष महत्व बताया गया है। तमाम प्रयास के बाद भी अगर घर में बरकत नहीं है, तो ऐसे में हनुमान जी की आराधना करना विशेष फलदायी होता है। घर में हर तीसरे माह हनुमान यज्ञ या साल में एक बार सुंदरकांड का पाठ भी करवाया जा सकता है। ऐसा करने से मनुष्य के ऊपर से सभी बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं और उसे व उसके परिवार को कभी भी किसी की बुरी नजर नहीं लगती। धार्मिक मतानुसार, हनुमान चालीसा, रामचरित मानस, महामृत्युजंय मंत्र, गायत्री मंत्र का निरंतर जाप करने से व्यक्ति खूब नाम कमाता है।

प्रसिद्धि पाने के लिए रोजाना 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप रोजाना करना चाहिए। गायत्री मंत्र अपनी इच्छानुसार जप सकते हैं। इनमें से किसी एक मंत्र को विधिवत रूप से जपेंगे, तो निश्चय लाभ होगा।

दान से होगा कल्याण

देखा जाता है कि प्रभुकृपा से हम कमाते तो बहुत हैं, लेकिन अपनी आय से एक भी हिस्सा जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च नहीं करते। जबकि गरीब-असहाय लोगों को भोजन कराने, वस्त्र दान करने, अनाज दान करने, बच्चों को शिक्षित करने, दवा आदि देने से आप पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है और लाभ के द्वार खुल जाते हैं। ऐसा करने से समाज में आपका नाम भी होता है। धार्मिक मान्यतानुसार, किसी विधवा स्त्री की मदद करना, किसी गरीब कन्या का विवाह कराना, विकलांग, व्यक्ति को भोजन कराना, 101 पेड़ लगवाना, गाय दान देना आदि ऐसे उपाय हैं, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्वि लाने के साथ आपकी ख्याति भी बढ़ाते हैं। इस तरह के कार्य करते रहने से भगवान तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही मानसिक लाभ भी प्राप्त होता है।

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नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


भूख लगी, तो कुछ भी खा लिया और कैसे भी खा लिया। लेकिन क्या आपने सोचा है कि जिस तरीके से आप भोजन करते हैं, वह कितना सही है? अगर नियमानुसार भोजन करेंगे, तो धार्मिक दृष्टि से तो लाभ होगा ही स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। हिंदू धर्मशास्त्रों में अन्न को देवता माना गया है। शास्त्रानुसार, जो व्यक्ति अन्न का अनादर करता है या नियमानुसार भोजन नहीं करता, उससे अन्न देवता  रुष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में भोजन करने के कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं। जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है, वह स्वस्थ भी रहता है और देवता भी प्रसन्न रहते हैं

मान्यता है कि हमें बिना नहाये भोजन नहीं करना चाहिए। इससे भोजन शरीर को लगता नहीं है और अन्न देव भी रुष्ट होते हैं। ऐसे जातक, जो बिना हाथ-मुंह धोए, बिना नहाये या गंदे स्थान पर बैठकर भोजन करते हैं, हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझते रहते हैं और अन्न की कमी हमेशा बनी रहती है, स्वास्थ्य भी खराब रहता है।

शास्त्रों में भोजन करने का सबसे उपयुक्त स्थान जमीन को बताया गया है। बिस्तर, कुर्सी, सोफा आदि पर बैठकर भोजन करना धार्मिक दृष्टि से गलत माना गया है। भोजन पकाने के बाद पहली रोटी गाय के लिए अवश्य निकालनी चाहिए। अगर नहीं निकाल पाते हैं, तो भोजन शुरू करने से पहले, पहला ग्रास भगवान के नाम का निकालना चाहिए और उनका धन्यवाद देकर ही भोजन शुरू करना चाहिए।

जब भी हम भोजन करते हैं, तो उसका कुछ अंश नीचे जमीन पर गिर जाता है और हम इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। जमीन पर गिरा भोजन पैरों के नीचे आता रहता है, जो गलत है। धार्मिक दृष्टि से अन्न का पैरों के नीचे आना अच्छा नहीं माना जाता है। भोजन करने के दौरान जो भी अन्न नीचे गिर जाए, उसे उठाकर रख लें और चिड़िया या चींटी को डाल दें। अगर नहीं डाल पा रहे हैं, तो उसे साफ स्थान पर रख दें।

कई बार भूख से ज्यादा भोजन अपनी प्लेट में डाल लेते हैं और भोजन बच जाता है। थाली में बचा झूठा भोजन, वास्तु व ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से सही नहीं माना जाता। कहते हैं थाली में भोजन छोड़ने से देवी लक्ष्मी घर से दूर चली जाती हैं और धन आगमन बाधित होता है। बचे हुए भोजन को किसी जानवर को खिला देना सही है, इसे कचरे में फेंकने या अपवित्र स्थान पर रखने, घर खड़े-खड़े भोजन करने, जूते पहनकर खाने, सिर ढककर भोजन करने से आयु कम होती है।यूनिवर्सिटी ऑफ कैर्लिफोर्निया के एक शोध के मुताबिक, भोजन करने के तुरंत बाद सोने, व्यायाम करने, घूमने, धूम्रपान आदि करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट में अपच, पेट का बढ़ना, वजन बढ़ना, गैस बनना, सिरदर्द, बैचेनी जैसी समस्या होती है।

भोजन करते समय पानी पीना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं होता। इससे हमें पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर होता है। फ्रिज में रखे हुए या बासी भोजन को भी नहीं खाना चाहिए। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस पनप जाते हैं, जो हमें बीमार बनाते हैं।

भोजन करने के बाद तुरंत टहलना शुरू कर देते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गलत है। दोपहर को भोजन करने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए। हां, शाम का भोजन करने के बाद कुछ देर टहलना सही रहता है। मगर खाने के आधे घंटे बाद ही टहलना चाहिए।  साथ ही रात के भोजन और सोने के बीच कम से कम दो घंटे का अंतर रखना जरूरी है।

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शनि ग्रहों के न्यायाधीश और दंडाधिकारी हैं. व्यक्ति को उसके शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. शनि देव बिना कारण के पीड़ा नहीं देते. व्यक्ति के गलत कार्यों के फलस्वरूप उसे पीड़ा भोगनी पड़ती है. शनिदेव इस पीड़ा देने के माध्यम मात्र बनते हैं.

शनि जब पीड़ा देते हैं तो इसके प्रभाव क्या होते हैं?

– व्यक्ति को स्नायु तंत्र और लम्बी बीमारी की समस्या हो जाती है

– व्यक्ति के हर कार्यों में विलम्ब और रुकावट आती है

– रोजगार और नौकरी के मामले में कठिनाई आती है

– जीवन में अकेलेपन का सामना करना पड़ता है

शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए लोहे का छल्ला क्यूँ कारगर होता है?

– शनिदेव का आधिपत्य लौह धातु पर है

– इसलिए लोहे का छल्ला शनि देव की शक्तियों को नियंत्रित करने के काम आता है

– परन्तु यह छल्ला सामान्य लोहे का नहीं होता , यह घोड़े की नाल या नाव की कील का बना हुआ होता है

– घोड़े के पैरों की घिसी हुआ नाल या लहरों से टकरायी हुयी नाव की कील एक विशेष चुम्बकीय प्रभाव रखती है

– अतः इसका बना हुआ छल्ला शनि की पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है

– जब भी इसकी अंगूठी बनवाएं इसे आग में न तपाये

शनि कृपा के लिए कैसे लोहे का छल्ला धारण करें?

– घोड़े की नाल या नाव की कील की बनी हुयी अंगूठी शनिवार के अलावा किसी भी दिन लाएं

– इसको शनिवार को सुबह सरसों के तेल में डुबोकर रख दें

– शाम को इसे निकाल कर जल से धोकर शुद्ध कर लें

– अब इसे अपने सामने रखकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें

– इसके बाद इसे मध्यमा अंगुली में धारण कर लें

– शनिदेव की पीड़ा का असर लगभग समाप्त हो जाएगा

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नवग्रहों में राहु एक छाया ग्रह है, इसका अपना कोई स्वभाव नहीं होता, स्वतंत्र रूप से यह शनि के स्वभाव का होता है. ज्योतिष में राहु विच्छेदन , संचार , अभिनय , रहस्य और विष का कारक होता है. राहु ग्रहों के शुभ प्रभाव को घटा देता है और अशुभ प्रभावों को बढ़ा देता है. लग्न, तृतीय,षष्ठ,सप्तम,दशम और एकादश भाव में आम तौर से राहु शुभ होता है. अन्य भावों में राहु उस भाव के फल को नष्ट कर देता है.

मेष – राहु करियर तथा धन की बाधा दे सकता है. राहु के वैदिक मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” का जाप करें.

वृष- वैवाहिक जीवन और भाग्य में अवरोध पैदा कर सकता है.

पीपल की जड़ में तिल मिला हुआ जल डालें , शनिवार को सात्विक रहें.

मिथुन- घर और भाइयों से दूर कर सकता है , साथ ही वाणी ख़राब कर देता है.

सूर्य को जल दें,अमावस्या को किसी निर्धन को भोजन करायें.

कर्क- अगर राहु ख़राब हो तो वैवाहिक जीवन छिन्न-भिन्न कर देता है , साथ ही कर्ज हमेशा बना रहता है.

नीले कपडे में चन्दन का टुकड़ा बांधकर धारण करें, झूठ से बचें.

सिंह- राहु का असर इनके व्यवसाय और संपत्ति पर होता है, मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है.

चांदी का चौकोर टुकड़ा गले में पहनें, शनिवार को शराब या सिरके को बहा दें.

कन्या- शिक्षा में बाधा आती है , व्यक्ति अड़ियल और जिद्दी हो जाता है.

हाथी दांत या शंख धारण करें, राहु की वस्तुओं का दान करें.

तुला- संपत्ति सम्बन्धी मामलों में समस्या आती है , किसी भी प्रकार का सुख नहीं मिलता.

प्रकाश का दान करें,राहु के तांत्रिक मंत्र का जाप करें – ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौ सः राहवे नमः”

वृश्चिक- भाई बहनों से सम्बन्ध बिगाड़ देता है , साथ ही घर से दूर जाकर जीविका मिलती है.

चन्दन का तिलक लगायें, पूजा स्थान पर हमेशा नारियल रखें.

धनु- व्यक्ति को कपट करने की आदत पड़ जाती है और व्यक्ति धन की तंगी में रहता है.

शंख या हाथी दांत धारण करें, चन्दन की सुगंध का अधिक से अधिक प्रयोग करें.

मकर- स्वास्थ्य ख़राब रहता है, रहस्यमयी रोग हो जाते हैं.

राहु के वैदिक मंत्र – “ॐ रां राहवे नमः’ का जाप करें , हमेशा सात्विक भोजन करें.

कुम्भ- वैराग्य पैदा करता है , कभी कभी नशे की प्रवृति भी देता है.

नीले कपड़े में चन्दन का टुकड़ा धारण करें, पिता के साथ रिश्ते अच्छे रखें.

मीन- व्यक्ति के चरित्र में दोष आ जाता है , धन के मामले में उतार चढ़ाव आता रहता है.

चांदी का चौकोर टुकड़ा गले में पहनें, मोर पंख साथ में रखें.

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