जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘कल्कि अवतार’के रूप में उनका आना सुनिश्चित है।

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पूर्णिमा के बाद के एग्यरावें दिन को एकादशी कहा जाता हैं | मानव मनोविज्ञान का एक चक्र होता है जिसे मंडल कहते हैं जो की हर 40 से  48 दिनों के चक्र में घूमता है | इस चक्र में तीन ऐसे होते

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जाने संक्षिप्त में मंगल दोष क्या होता है :-

उज्जैन को पुराणों में मंगल की जननी कहा जाता है. ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजा-पाठ करवाने आते हैं.

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इन कारणों से की जाती है नारायण नागबली पूजा

इन कारणों से की जाती है नारायणबलि पूजा जिस परिवार के किसी सदस्य या पूर्वज का ठीक प्रकार से अंतिम संस्कार, पिंडदान और तर्पण नहीं हुआ हो उनकी आगामी पीढि़यों में पितृदोष

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प्राचीन धर्म ग्रंथों में जिस रेवा नदी का जिक्र हुआ है वह भारत की एक पवित्र नदी नर्मदा | कहते हैं गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता वह नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है |

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माना जाता है कि  भगवान शिव के उपासक ऋषि भृगु के घर कोई संतान नहीं थी, उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की भगवान शिव ने ऋषि भृगु जी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए

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ऐसा माना जाता है कि  सौराष्ट्र में प्रकट हुये महातूफ़ान को शान्त करने के लिये भगवान विष्णु ने तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरुप माँ बगलामुखी का जन्म हुआ था.

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कोई जातक चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष, उसके मांगलिक होने का मतलब है कि उसकी कुण्‍डली में मंगल अपनी प्रभावी स्थिति में है। शादी के लिए मंगल को जिन स्‍थानों पर देखा जाता है, वो 1,4,7,8 और 12 भाव हैं। इनमें से केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्‍य तौर पर खराब माना जाता है।

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