यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ साधन है | यह वायुमंडल को शुद्ध रखता है| इसके द्वारा वातावरण शुद्ध व रोग रहित रहता है| यज्ञ एक ऐसी ओषधि है जो सुगंध भी देती है, तथा वातावरण को रोग Continue reading
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जीवन में शुभ के आगमन का प्रतिक है कमल पुष्प जानिए किस प्रकार माँ लक्ष्मी को घर में स्थाई रखने के लिए प्रसन्न करे
कमल का फूल जितना मन मोहक होता है उतनी ही मोहक उसकी सुगंध होती है जो वातावरण को शुद्ध व आनंद से भर देती है | कमल के फूल को हमारे शास्त्रों में भी बड़ा महत्त्व दिया गया है | हमारे धर्म शास्त्रों में माँ लक्ष्मी को कमला और कमलासना माना जाता है | कमलासना का अर्थ होता है जो कमल पर विराजित हो कमल के फूल को माँ लक्ष्मी की पूजा में खास महत्त्व दिया गया है | आप माँ लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ा कर अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते है और सफलता पा सकते है |जीवन में शुभ के आगमन का प्रतिक है कमल पुष्प जानिए किस प्रकार माँ लक्ष्मी को घर में स्थाई रखने के लिए प्रसन्न करे
कमल का फूल जितना मन मोहक होता है उतनी ही मोहक उसकी सुगंध होती है जो वातावरण को शुद्ध व आनंद से भर देती है | कमल के फूल को हमारे शास्त्रों में भी बड़ा महत्त्व दिया गया है | हमारे धर्म शास्त्रों में माँ लक्ष्मी को कमला और कमलासना माना जाता है | कमलासना का अर्थ होता है जो कमल पर विराजित हो कमल के फूल को माँ लक्ष्मी की पूजा में खास महत्त्व दिया गया है | आप माँ लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ा कर अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते है और सफलता पा सकते है |
इस प्रकार करे पूजन जिससे माँ लक्ष्मी सदा के लिए वास करे आपके घर :-
ज्योतिष के जानकारों की माने तो कमल का फूल देवी देवताओ को प्रिय होता है | इस फूल के उपयोग से आपकी कई मनोकामनाये पूरी हो सकती है |
* अगर आप अपने घर में माँ लक्ष्मी का स्थाई वास बनाना चाहते है तो इसके लिए एक नारियल ले तथा एक लाल ,पीला, नीला और एक सफेद कमल के फूल से माँ लक्ष्मी की पूजा करे और फिर अगले दिन इन फूलो को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दे और पूजा में चढ़ाये गए नारियल को लाल कपडे में बांध कर तिजोरी में रख दे |
*अगर २७ दिन तक रोज एक कमल का फूललक्ष्मी जी को अर्पित करे तो अखंड सुख की प्राप्ति होती है |
*किसी भी एक एकादशी को कृष्ण जी को कमल के दो फूल अर्पित करे ऐसा करने से आपकी संतान प्राप्ति की अभिलाषा पूरी होगी |
*कमल के फूल को माँ लक्ष्मी पूजा में खास महत्त्व दिया गया है अगर आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते है तो इनकी पूजा में कमल के फूल का इस्तेमाल करे |
*अपने परिवार के सदस्यो के बीच प्यार बढ़ाने के लिए अपने घर के मंदिर में स्थापित लक्ष्मी माँ की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक कमल का फूल अर्पित करे | ऐसा करने से परिवार के लोगो के बीच प्यार बढ़ता है और साथ ही धन – सम्पत्ति बढ़ने लगती है |
*अगर आप अपने जीवन से धन की कमी को हमेशा के लिए दूर करना चाहते है तो माँ लक्ष्मी की नील रंग के कमल के फूल से पूजा करे आप इस फूल का इस्तेमाल किसी को वश में करने के लिए भी कर सकते है |
बैशाख माह हिन्दू नव वर्ष का दूसरा महीना होता है हिन्दू मान्यता अनुसार इस माह से त्रेता युग का आरम्भ हुआ था अत: सम्पूर्ण बैशाख माह अत्यधिक पवित्र और पुण्य Continue reading →
प्रदोष काल निर्धारित करने की ३ प्रचलित मान्यताये है-
जिनका आप अपने क्षेत्र और रीती अनुसार अनुसरण करे |
एक मान्यता के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से आगे चार घटी अथार्त ९६ मिनिट का होता है |
दूसरी मान्यता के अनुसार सूर्यास्त्र के समय से दूसरे दिन के सूर्य उदय Continue reading →
अक्षय तृतीया का अद्भुत संयोग पुरे 1 दसक बाद बन रहा है | इसके पूर्व वर्ष 2003 में 5 ग्रहो का ऐसा योग Continue reading →
हम कभी किसी भी काम को शुरू करते है तो सबसे पहले “श्री गणेश भगवान” का नाम ले कर शुरू Continue reading →
१९ अप्रेल शुक्रवार को चैत्र पूर्णिमा है. यह दिन बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है | इस दौरान कोई भी नया कार्य करना बहुत शुभ माना Continue reading →
बैसाखी अप्रैल में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष में प्रवेश करता है |
आईये जानते है बैसाखी नाम कैसे पड़ा :-
अधिकांश पर्व-त्यौहार मौसम, मौसमी फसल और उनसे जुडी गतिविधियों से ही सम्बंधित है | Continue reading →
कालसर्प योग के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पूजा-पाठ, मंत्र और जप आदि कार्यो के अलावा कई ज्योतिषीय उपाय भी प्रचलन में हैं। यदि सभी ग्रह राहू या केतुके एक ओर स्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। राहु- केतु की भावगत स्थिति के आधार पर अनन्तादि 12 प्रकार केकालसर्प योग निर्मित होते हैं। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। लेकिन दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है। आइएजानते है किन परिस्थितियों में कालसर्प योग का असर होता है और किसमें नहीं।
जब राहू और केतु के बीच अन्य ग्रहों की उपस्थिति हो तब ही कालसर्प योग का असर होता है। वहीं जब केतु और राहु के बीच ग्रहों की उपस्थिति हो तब इस योग का असर नहीं होता है।
लग्न या चन्द्रमा राहु अथवा केतु के नक्षत्र में यानि आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा, अश्विनी, मघा , मूल में हो तो तब यह अधिक प्रभावी होता है।
राहु की शनि, मंगल अथवा चन्द्रमा के साथ युति हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।
अनन्त, तक्षक एवं कर्कोटक संज्ञक कालसर्प योग में क्रमश लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश एवं लग्नेश की युति राहु के साथ हो तो यह योग अधिक प्रभावी
होता है।
कालसर्प योग के साथ-साथ शकट,केमदूम एवं ग्रहों की नीच अस्तंगत, वक्री स्थिति हो तो कालसर्प योग अधिक प्रभावी होता है।
जन्म लेने और फिर उसके बाद करियर के निर्माण के समय यदि राहु की अथवा इससे युति ग्रह की अथवा राहु के नक्षत्र में स्थित ग्रह की दशा हो तो कालसर्प योग का असर अधिक होता है।
अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |
नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)
शिव उपासना के पांच अक्षर हैं – “नमः शिवाय”. शिव जी सृष्टि के नियंत्रक हैं. सृष्टि पांच तत्वों से मिलकर बनी है. इन पांच अक्षरों से सृष्टि के पाँचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है. हर अक्षर का अपना अर्थ और महत्व है. जब इन पाँचों अक्षरों को एक साथ मिलाकर जप किया जाता है तो सृष्टि पर नियंत्रण किया जा सकता है.
“न” अक्षर का अर्थ और महत्व क्या है?
– इसका अर्थ नागेन्द्र से है, अर्थात नागों को धारण करने वाले
– न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने से भी है
– इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दसो दिशाओं से सुरक्षित रहता है
“म” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा क्या है?
– इसका अर्थ मन्दाकिनी को धारण करने से है
– इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव से भी है
– नदियों , पर्वतों और पुष्पों को नियंत्रित करने के कारण इस अक्षर का प्रयोग हुआ
– यह जल तत्त्व को नियंत्रित करता है
“श” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?
– इसका अर्थ शिव द्वारा शक्ति को धारण करने से है
– यह परम कल्याणकारी अक्षर माना जाता है
– इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है
“व” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?
– इसका सम्बन्ध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है
– यह अक्षर शिव जी के प्रचंड स्वरुप को बताता है
– इसका प्रयोग ग्रहों नक्षत्रों को नियंत्रित करता है
“य” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?
– इस अक्षर का अर्थ है कि , शिव जी ही आदि, अनादि और अनंत हैं
– यह सम्पूर्णता का अक्षर है
– इसमें शिव को सर्वव्यापक माना गया है
– इस अक्षर का प्रयोग शिव की कृपा दिलाता है
पंचाक्षरी मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ किस प्रकार कल्याणकारी होता है?
– पंचाक्षर मंत्र से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण की जा सकती है
– इसी प्रकार पंचाक्षरी स्तोत्र से शिव कृपा पायी जा सकती है
– पंचाक्षरी स्तोत्र से मन की हर तरह की समस्या दूर की जा सकती है
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सोमप्रदोष पूजा से महालाभ मिलेगा. इस दिन का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि सोम प्रदोष पूजा के साथ चन्द्रमा मेष राशि में भी है. ज्येष्ठ अधिक मास का सोमवार है. त्रयोदशी तिथि भी है, शुभ संयोग बना है. सोम प्रदोष दिवस पर शिव पूजन से चार लाभ मिलता है-धन ऐश्वर्य का लाभ, पति का सौभाग्य जागेगा, आपको भारी सफलता मिलेगी और कन्याओं का विवाह हो जाएगा. सबसे पहले शिव मंदिर पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, चावल और सफ़ेद फूल, तुलसी पत्ते और शहद चढ़ाएं. गर्मी भी है. मिटटी का जल पात्र लेंगें. मटकी, घड़ा या सुराही लेंगे. ठंडा पानी भरकर अगर शिव जी पर चढ़ा दें. हर हर महादेव बोलकर जल चढ़ाएं. शिव जी मनोकामना पूरी करेंगे. ठंडा पानी से राहु केतु और शनि शांत होंगे.
सोमवार प्रदोष की व्रत विधि
सोमवार का व्रत नहाकर शुरू करें.
सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें.
सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
शिव मंदिर जाकर, शिवजी को चावल, जल, दूध चढ़ाएं
शिवजी के साथ साथ माता गौरी की भी पूजा करें
शिवजी और गौरी को दूध-चावल की खीर का भोग लगाएं.
पति का सौभाग्य जागेगा, पति दीर्घायु होंगे
और आप भी सुखी हो जाएंगे
महिलाएं मासिक शिवरात्रि के अलावा
सोमप्रदोष का व्रत रखें
और मंदिर में शिव लिंग की
ख़ास पूजा करें
सोमवार को शनि का उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र भी है
शिव लिंग को पहले दही से मलकर स्नान करवाएं
चंदन का तिलक लगाकर
शिवलिंग का श्रृंगार करें
और इसपर शुद्ध शहद से अभिषेक करें
और माँ पार्वती को सुहाग का लाल सिन्दूर
लाल वस्त्र चढ़ाएं
और बेल फल का भोग लगाएं
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ज्योतिष में राशियों का विशेष महत्व है. राशि से व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है. आइए जानते हैं हर राशि के लिए कौन सी राशियां अनुकूल नहीं होती हैं
मेष- मेष राशि के जातकों के लिए मिथुन, कन्या और वृष राशि के लोग बहुत अनुकूल नहीं होते. इन राशि वालों से इनको धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको धन के मामले में या धन के लेन देन में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. धोखे से बचने के लिए इनको नित्य भगवान गणेश को दूब अर्पित करनी चाहिए.
वृष– वृष राशि के जातकों को धनु, मीन और मेष राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको विवाह और प्रेम के मामले में धोखा मिलने के योग होते हैं. धोखे से बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.
मिथुन– मिथुन राशि के जातकों को मेष, वृश्चिक और सिंह राशि अनुकूल नहीं होती, यहाँ से इनको धोखा मिल सकता है. इनको आम तौर पर धोखा संपत्ति और वाहन के मामले में मिलता है. इससे बचने के लिए इनको नियमित रूप से हनुमान जी को लाल फूल अर्पित करना चाहिए.
कर्क– कर्क राशि के जातकों को मिथुन, कन्या और कुम्भ राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर कारोबार और नौकरी में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. अगर कर्क राशि के लोग नित्य भगवान शिव की आराधना करें तो धोखे से बच सकते हैं.
सिंह– सिंह राशि के जातकों को वृष, तुला और मकर राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको विवाह और संतान के मामलों में धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.
कन्या– कन्या राशि के जातकों को मेष, वृश्चिक और धनु राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इनको धोखा, धन और धन के लेन देन के मामले में होने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको हनुमान चालीसा का नित्य प्रातः पाठ करना चाहिए.
तुला– तुला राशि के जातकों को वृश्चिक, धनु और मीन राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इनको धोखा आम तौर पर संपत्ति और प्रेम के मामलों में मिलने की सम्भावना होती है. इससे बचने के लिए इनको नियमित रूप से भगवान कृष्ण की आराधना करनी चाहिए.
वृश्चिक– वृश्चिक राशि के जातकों को मिथुन, कन्या, तुला राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर नौकरी और कारोबार में धोखा मिलने की सम्भावना बनती है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.
धनु– धनु राशि के जातकों को वृष,कन्या,और मकर राशि के लोगों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको आम तौर पर व्यवसाय में या जमीन जायदाद में धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इससे बचने के लिए इनको भगवान शिव को नियमित जल अर्पित करना चाहिए.
मकर– मकर राशि के जातकों को कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको भावनात्मक धोखा मिलता है जैसे विवाह और प्रेम के मामलों में. इससे बचने के लिए इनको शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.
कुम्भ राशि– कुम्भ राशि के जातकों को मेष,धनु और मीन राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. इनको धोखा धन और रूपये पैसे के मामले में ही मिलता है. इससे बचने के लिए इनको पीपल के नीचे शनिवार को दीपक जलाना चाहिए.
मीन– मीन राशि के जातकों को वृष,तुला और कुम्भ राशि के जातकों से धोखा मिलने की सम्भावना होती है. आम तौर पर इनको प्रेम और विवाह के मामलों में धोखा मिलता है. इससे बचने के लिए इनको नित्य प्रातः पौधों में जल डालना चाहिए.
अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |
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