माँ सरस्वती ज्ञान और संस्कृति की देवी है जिनकी पूजा धर्म ग्रंथो के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी मे मनाया जाता है जिसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है| इस साल ये पर्व १२ फ़रवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा| ग्रंथो के अनुसार वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से माँ सरस्वती बहुत प्रसन होती है और विधया, बुद्धि और सुख-शांति प्रदान करती है|
ये पर्व पीले रंग का प्रतीक है| कहा जाता है की अगर इस दिन पीले वस्त्रा धारण कर के माँ की पूजा की जाए तो माँ बहुत जल्द प्रसन होती है और सुख-शांति का वरदान देती है| माँ की पूजा पूरे भारत मे पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है|
माँ सरस्वती के १२ नाम
माँ सरस्वती के १२ नाम है जिन्हें पूजा के बाद बोलने से बहुत लाभ मिलता है| ये बारह नाम विद्यार्थी के लिए ज़्यादा लाभकारी होते हैं|
इनका उच्चारण इस प्रकार करें-
१) प्रथम भारती नाम च:
२) द्वित्यम च: सरस्वती
३) त्रित्यम शारदा देवी
४) चतुर्थ हंसवाहिनी
५) पंचम जगधिधात्री
६) स्ष्तम बगेस्वरि तथा
७)सप्तम कुमोदीपारोक्ता
८)अशथम ब्रहंचारिणी
९)नवम बुधिधत्रि च:
१०)दसम्म वरदायेनी
११)एकादसम्म चंद्रकांति
१२)द्वादसम्म भुवनेश्वरी
विधि
माँ की पूजा शुरू करने से पहले स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें तत पशच्यत पूजन विधि अनुसार पूजा करे|
रोचक कहानी
कहा जाता है की महान कवि और दार्शनिक कालिदास को माँ काली के साथ-साथ माँ सरस्वती का अशिर्वाद प्राप्त था| महान कालिदास बहुत ही मूर्ख थे और उनका विवाह एक राजकुमारी के साथ किया गया था|जब ये राजकुमारी को पता चला तो कालिदास ने खुद को मारने का विचार किया| तब माँ सरस्वती प्रकट हुई और कालिदास को अशिर्वाद देकर उन्हे ज्ञान प्रदान किया.