जानिए रामायण से जुड़ी कुछ रोचक बातें, रामनवमी पूजन के लिए शुभ मुहर्त: एवं पूजा विधि

Ramnavmi Puja

आज हम आपको श्री राम नवमी पूजा के बारे मे बताएँगे की किस प्रकार हम श्री राम जी की पूजा करें तथा साथ साथ हम आपको श्री राम से संबंधित कुछ रोचक बातें भी बताएँगे| राम नवमी का पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल के नवमी तिथि को मनाया जाता है| इस वर्ष ये पर्व 15 अप्रैल को हैं| हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन श्री हरी विष्णु ने राम रूप मे इस धरती पे जन्म लिया था|आज हम आपको श्री राम नवमी पूजा के बारे मे बताएँगे की किस प्रकार हम श्री राम जी की पूजा करें तथा साथ साथ हम आपको श्री राम से संबंधित कुछ रोचक बातें भी बताएँगे| राम नवमी का पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल के नवमी तिथि को मनाया जाता है| इस वर्ष ये पर्व 15 अप्रैल को हैं| हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन श्री हरी विष्णु ने राम रूप मे इस धरती पे जन्म लिया था|

 

रामायण से जुड़ी कुछ रोचक बातें

1) सीता स्वयंवर का वर्णन सिर्फ़ और सिर्फ़ राम चरित्र मानस मे ही उल्लेखित है| वाल्मीकि रामायण मे माता सीता के स्वयंवर का वर्णन कहीं नही है|

2)राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ जिस ऋषि से करवाया था उनका जन्म स्वंय एक हिरनी के गर्भ से हुआ था|

3) जब श्री राम वनवास के लिए जा रहे थे तब राजा दशरथ ने उन्हे जाने से मना किया और कहा की मुझे बंदी बनाके तुम स्वंय राजा बन जाओ|

4) जब श्री राम वनवास पे थे तब उन्होने श्रापित राक्षस कबंधका वध किया था जिन्होने श्री राम को सुग्रीव से मिलकर उनसे मित्रता करने के लिए कहा|

5) जब माता सीता की खोज हो चुकी थी और नदी के उस पर जाने के लिए जो रामसेतु का निर्माण वानरों के द्वारा किया गया था वो पुल समुद्र के ऊपर 5 दिन के अंदर बनाया गया था| प्रथम दिन 14 योजन का पुल बनाया गया| एक योजन का मतलब 13 किलो मीटर होता है| इसी प्रकार दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21, चौथे दिन 22 और पाँचवे दिन 23 योजन पुल का निर्माण किया गया| इस प्रकार कुल 100 योजन लंबा पुल का निर्माण किया गया जो 10 योजन चौड़ा था|

 

रामनवमी पूजन के लिए शुभ मुहर्त:

वैसे तो श्री राम नवमी की पूजा के लिए सुबह से शाम तक का समय है लेकिन कुछ अच्छे मुहर्त है जिसमे अगर आप पूजा करें तो आपको इस पूजा का विशेष लाभ मिलेगा|

 

प्रातः काल:

1) 6:05 से 7:40 बजे तक (चल योग)

2) 7:40 से 9:15 बजे तक (लाभ योग)

3) 9:15 से 10:50 बजे तक (अमृत योग)

 

दोपहर के समय:

1) 12:25 से 02:00 बजे तक (शुभ योग)

 

शाम के समय:

1) 5:10 से 06:45 बजे तक (चल योग)

 

 

रामनवमी  पूजा विधि

चलिए हम जानते है किस प्रकार हम श्री राम जी की पूजा करें इस रामनवमी मे ताकि श्री राम की कृपा हमेशा हमारे ऊपर बनी रहें|

सर्वप्रथम प्रातः काल उठकर स्नान  करके अपने घर के उत्तर दिशा मे एक सुंदर सा मंडप का निर्माण करें| तत्पश्चयात उसके बीचों-बीच मे एक वेदी बनाए| और इस पे माता सीता और प्रभु श्री राम को विराजमान करे| फिर गंध, चावल, फूल, धूप, दीप से पूजन करें और फल को अर्पण करें| इसके बाद मंत्र का जप करें:

मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।

संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।

ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।

 

उसके बाद उनकी आरती कपूर और घी के दीप बत्ती के साथ करें:

आरती कीजै श्रीरघुबर की, सत चित आनंद शिव सुंदर की।।

दशरथ-तनय कौसिला-नंदन, सुर-मुनि-रक्षक दैत्य निकंदन,

अनुगत-भक्त भक्त-उर-चंदन, मर्यादा-पुरुषोत्तम वरकी।।

निर्गुन सगुन, अरूप, रूपनिधि, सकल लोक-वंदित विभिन्न विधि,

हरण शोक-भय, दायक सब सिधि, मायारहित दिव्य नर-वरकी।।

जानकिपति सुराधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक-गति,

विश्ववंद्य अनवद्य अमित-मति, एकमात्र गति सचारचर की।।

शरणागत-वत्सलव्रतधारी, भक्त कल्पतरु-वर असुरारी,

नाम लेत जग पवनकारी, वानर-सखा दीन-दुख-हरकी।।

 

 

आरती के तदोप्रान्त पुष्पांजलि के लिए हाथ मे फूल और अक्षत (चावल) लेके मंत्र का उच्चारण करें और पुष्पांजलि दे:

 

नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्गिणे।

चिन्मयानन्तरूपाय सीताया: पतये नम:।।

ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय पुष्पांजलि समर्पयामि।

 

इसके बाद क्षमा मंत्र को बोलें:

 

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन ।

यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।

मंत्र को बोलने के बाद श्री राम को प्रणाम करें और कल्याण की प्राथना करें|