नवरात्री का पहला दिन, जानें किस प्रकार करें माँ शैलपुत्री की आराधना

चैत्र नवरात्री की शुरुआत आज से शुरू हो चुकी है जो की चैत्र मास की नवमी तिथि तक मनाया जायेगा। हमारे शास्त्रों के अनुसार नवरात्री में हर एक दिन देवी माँ के विशेष रूप की पूजा की जाती है, जिससे भक्त की हर मनोकामनाएं पूरी होती है। हर एक दिन हम जानेंगे माँ के किस स्वरुप की पूजा करनी चाहिए।

 

माँ शैलपुत्री:

चैत्र नवरात्री के प्रतिपदा तिथि को माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है जो हिमालय की पुत्री थी। देवी का यह नाम हिमालय में जन्म होने से हुआ जिसका उल्लेख हमारे शास्त्र मार्कण्डेय पुराण में उल्लेखित है। जिस प्रकार हिमालय हमारी शक्ति,दृढ़ता, आधार व् स्थिरता का प्रतिक है उसी तरह माँ शैलपुत्री अखंड सौभाग्य का प्रतिक हैं। योगी और तपस्वी इस प्रथम दिवस में अपनी शक्तियों को अपने मूलाधार में स्थित करते हैं। तथा अपनी साधना करते हैं। हमें प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए। इससे हमारे जीवन में दृढ़ता व् स्थिरता बना रहता है।

 

शास्त्रों अनुसार माँ शैलपुत्री का स्वरुप दिव्य है। उनके दाहिने हाथ में भगवान भोलेनाथ के द्वारा प्रदान किया गया त्रिशूल है तथा बाएं हाथ में श्री हरी के द्वारा प्रदत्त कमल का पुष्प है। इनका वहां बैल है। माँ साहिलपुत्री को समस्त जिव-जन्तुओं का रक्षक माना जाता है।

 

नवरात्र में ऐसे करें पूजा:

नवरात्र में सबसे पहले ब्रहम मुहूर्त में उठकर शुद्घ जल से स्नान करें। तत्पश्च्यात घर के किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिटटी से वेदी बनाएं। वेदी में जौ और गेहूं के दोनों को मिलाकर बोए। वेदी के पास धरती मां का पूजन करें  वहां कलश स्थापित करें। इसके बाद सबसे पहले प्रथमपूज्य श्रीगणेश की पूजा करें। फिर वेदी के किनारे पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें। मां दुर्गा की कुंकुम, चावल, पुष्प, इत्र इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

 

माँ शैलपुत्री की उपासना का मन्त्र:

शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा के प्रथम स्वरुप की उपासना निम्न मन्त्रों के द्वारा करें इससे माँ शीघ्र प्रसन्न होती है।

मन्त्र:

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

प्राथना मन्त्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति मन्त्र:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 

प्रथम दिन क्यों किया जाता है माँ शैलपुत्री का ध्यान ?

प्रथम दिन इनकी आराधना करने से आकस्मिक आपदाओं से मुक्ति मिलती है। इसी कारण वश जब भी दुर्गम स्थानों पे बस्तियों का निर्माण होता है तो सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है। ताकि उस जगह पे आपदा, रोग, व्याधि और संक्रमण का खतरा नहीं होता है। तथा जिव उस जगह पे सुरक्षित निवास करते हैं।