जया पार्वती व्रत जो की 6 जुलाई को है, जो १२ जुलाई 2017 को समाप्त होगा। यह व्रत माँ जया को समर्पित है जो माँ पार्वती का रूप है। 5 दिनों तक चलने वाला यह व्रत, प्रायः गुजरात में मनाया जाता है। इन पांच दिनों तक महिलाएं और कुंवारी कन्या व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्या अच्छा पति पाने के लिए और शादी-शुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए। आज हम इस व्रत को करने की विधि के बारे में जानेंगे।
जया पार्वती व्रत आषाढ़ महीने में किया जाता है, जो की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को शुरू होता है और पांचवें दिन कृष्ण पक्ष तृतीया को समाप्त होता है। यह व्रत मुख्य रूप से पांच, सात, नौ, ग्यारह, या कम से कम बीस वर्ष तक लगातार किया जाता है।
व्रत विधि:
व्रती जया पार्वती व्रत के दिन नमक युक्त भोजन को ग्रहण नहीं करते हैं। नमक पूर्ण रूप से इन पांच दिनों तक ग्रहण नहीं किया जाता है। कुछ लोग इन पांच दिनों तक अनाज और सब्जी को ग्रहण नहीं करते। केवल फल को ग्रहण करते हैं।
व्रत के प्रथम दिन गेहूं के दानों को (जिसे जावरा कहा जाता है) एक छोटे से बर्तन में बोते हैं। और पूजा वेदी पर रखते हैं। इस बीज युक्त बर्तन को पांच दिनों तक पूजा जाता है। पूजा के दौरान रुई के द्वारा हार बनाया जाता है जिसे नगला के नाम से जाना जाता है। उसे कुमकुम से सजाया जाता है। यह प्रक्रिया पुरे पांच दिनों तक होती है। और प्रत्येक दिन बीज युक्त बर्तन में प्रातः कल जल अर्पण किया जाता है।
व्रत के अंतिम दिवस के एक दिन गौरी तृतीया पूजा के पूर्व व्रती पूरी रात जगे रहते हैं, ध्यान करते हैं और व्रत से सम्बंधित भजन और आरती का गान करते हैं। इस जागरण को जयापार्वती जागरण कहा जाता है।
अगले दिन, सुबह उत्पन्न गेहूं के पौधे को बर्तन के साथ पूजा करके किसी पवित्र नदी या किसी भी पवित्र जल कुंड में विसर्जित किया जाता है। और पूजा पश्च्यात भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमे नमक, सब्जियां और गेहूं से आटे की बनी रोटी होती है।
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