मृत्यु हमारे जीवन का सबसे बड़ा सत्य। मृत्यु के पश्च्यात हमारे शरीर में स्थित आत्मा उस शरीर को त्याग देती है। लेकिन शरीर त्यागने के पश्च्यात आत्मा का न कोई उद्देश्य होता है और न उनके पास कोई शरीर। आज हम जानने की कोशिश करेंगे महात्मा बुद्ध के द्वारा बताये गए आत्मा के बारे में।
बौद्ध धर्म में एक पुरानी घटना है जिसमे भगवान बुद्ध ने स्वयं शरीर को त्यागने के बाद आत्मा के अस्तित्व के बारे में बताया है। उस ऐतिहासिक कथा के अनुसार एक बार महात्मा बुद्ध के शिष्य ने उनसे पूछा की “ जब आत्मा देह का त्याग करती है तो उनकी यात्रा किस प्रकार होती है, वे करते क्या है तथा उनका होता क्या है? ”
जब ये सवाल महात्मा बुद्ध ने सुना तो उनके शांत चेहरे पे एक प्यारी सी मुस्कराहट आ गई। उन्होंने मुस्कुराते हुए और शालीनता पूर्वक अपने शिष्य से कहा सबसे पहले आप मुझे ये बताओ यदि कोई तीर आपके हाथों में सीधे आकर लगे तो आप सर्वप्रथम क्या करेंगे, उस तीर को निकालेंगे या उस दिशा में देखेंगे जिस दिशा से तीर आया है।
शिष्य ने कहा: “ अवश्य , मैं सर्वप्रथम तीर को अपने हाथों से निकलूंगा, नहीं तो उसका जहर मेरे पुरे शरीर में फैल जायेगा। ”
तब बुद्ध ने कहा “ सही, इसी प्रकार मनुष्य को अपने इस जीवन में आये हुए मुसीबतों को सुलझाने में समय और मेहनत करनी चाहिए और खुश रहना चाहिए, न की अपने आने वाले दूसरे जन्म के बार में सोचना चाहिए “।
२) एक दूसरे कथा के अनुसार एक समय महात्मा बुद्ध वृक्ष के निचे बैठकर ध्यान में लीन थे, इसी समय कुछ बच्चें खेलते-खेलते आये उसी वृक्ष के निचे आएं जहाँ बुद्ध ध्यान में लीन थे। तथा बच्चों ने आम तोड़ने के लिए उस पेड़ में पत्थर मरने लगे। तातभी एक पत्थर बुद्ध को लगा और उनके माथे से रक्त बहने लगा। तब उन्होंने आखें खोली, उनकी आखें नम थी। यह देखकर बच्चे डर गए और उनसे क्षमा मांगने लगे। तब उन्होंने रोतेहुए कहा तुमने इस पेड़ को पत्थर मरे ताकि तुम्हें फल की प्राप्ति हो सके, लेकिन जब एक पत्थर मुझे लगा तो मुझसे केवल डर और भय के आलावा कुछ नहीं मिल सका।