Saraswati (Sanskrit: सरस्वती, Sarasvatī) is the Hindu deity of knowledge, music, arts, wisdom and learning. She is a a part of the trinity (Tridevi) of Saraswati, Lakshmi and Annapurna. All the 3 forms help the trinity of Brahma, Vishnu and Shiva to create, maintain and regenerate-recycle the Universe respectively.
सरस्वती (संस्कृत: सरस्वती, सरस्वती) ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धिमत्ता और सीखने कि के हिंदू देवी है। वह त्रिदेवियों का हिस्सा है जो है सरस्वती, लक्ष्मी और अन्नपूर्णा। सभी तीनो रूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की मदद करती है ब्रह्मांड को क्रमशः बनाने, परवरिश करने और पुनर्जन्म-पुनरावृत्ति करने मे मदद करते हैं।
The earliest known mention of Saraswati as a goddess is in the Rigveda. She has remained vital as a goddess from the vedic period through modern times of Hindu traditions. Some Hindus celebrate the festival of Vasant Panchami (the fifth day of spring) in her honour and mark the day by serving to young children learn how to write alphabets on that day. The goddess is also revered by believers of the jain religion of west and central India, moreover as some Buddhist sects.
एक देवी के रूप में माँ सरस्वती का उल्लेख ऋग्वेद में है। वह हिंदू परंपराओं के आधुनिक समय के द्वारा वैदिक काल से एक देवी के रूप में महत्वपूर्ण मानी गई है। हिंदु लोग वसंत पंचमी (वसंत के पांचवें दिन) का त्योहार उनके सम्मान मे मानते है और उस दिन युवा बच्चों अक्षर किस प्रकार लिखा जाता है ये चीजे सिखाया जाता है। कुछ बौद्ध संप्रदायों , पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के विश्वासियों द्वारा भी देवी प्रतिष्ठित है।
Saraswati who is revered as a goddess of knowledge, music and arts is also found outside Nepal and India, like in Japan, Vietnam, Bali (Indonesia) and Myanmar.
सरस्वती जो ज्ञान, संगीत और कला की देवी के रूप में पूजा जाती है वो नेपाल और भारत के बाहर भी मानी जाती है, जैसे जापान, वियतनाम, बाली (इंडोनेशिया) और म्यांमार।
Saraswati Pooja is often enacted throughout morning hours amidst chants of ‘mantras’ and ‘slokas’. Pooja is performed by using sandalwood, ghee and burning of ‘agarbattis’ and incenses of various types. The idol of the deity is wrapped in a white saree, she holds ‘Veena’, an Indian string instrument and books in her four hands and sits on a white lotus, a symbol of purity while having a white swan as ‘Vahana’ a sign of righteousness! Among different fruits, Plums are offered to the goddess and later eaten as ‘Prasad’.
सरस्वती पूजा अक्सर ‘मंत्र’ और ‘श्लोक’ के मंत्र के बीच सुबह के समय पूजा किया जाता है। पूजा चंदन, घी और ‘अगरबत्ती’ और विभिन्न प्रकार की धूपों का उपयोग करके किया जाता है। देवी की मूर्ति एक सफेद साड़ी से लिपटी होती है, वह ‘वीना’, एक भारतीय स्ट्रिंग साधन और किताबें रखती है अपने चार हाथों में और एक सफेद कमल पर विराजमान रहती हैं, पवित्रता का प्रतीक है, जबकि श्वेत हंस जो वाहन है वो ‘धर्म के संकेत के रूप होता है! विभिन्न फलों के अलावा, ‘कूल’ या प्लम देवी को अर्पित किया जाता है और बाद में ‘प्रसाद’ के रूप में खाया जाता है।
Bengalis don’t eat Plums before Saraswati Puja as an age-old belief. ‘Palash’ flower blooming in the spring season forms an integral a part of this Pooja.
बंगाली एक पुरानी विश्वास के रूप में सरस्वती पूजा से पहले प्लम को नहीं खाते हैं। ‘पलाश’ फूल वसंत ऋतु में खिलने के कारण इस पूजा का एक अभिन्न हिस्सा है।
Saraswati puja is a important puja. The people who are suffering from rahu should worship the goddess Saraswati regularly. She is mother of the Vedas.
सरस्वती पूजा एक महत्वपूर्ण पूजा है। जो लोग राहु से पीड़ित हैं उन्हें देवी सरस्वती का नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। वह वेदों की जननी है।