सिंहस्थ 2016, उज्जैन मे अब कुछ दिन ही शेष है| सारी तैयारियाँ हो चुकी है और सब कुछ सज चुका है| उज्जैन बाहें खोले खड़ा है सभी का स्वागत करने के लिए| साधुओं के कुटीर भी लग चुके हैं| जब भी कुंभ होता है तब हमेशा से वहाँ आने वाले साधु सभी लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनते हैं| यहाँ तक की शैव अखाड़ा वालें नागा साधु भी अपने सिंगार स्वरूप के लिए लोगों के बीच आकर्षित होते हैं| जिस प्रकार सभी स्त्रियों के लिए सिंगार आवश्यक हैं ठीक उसी प्रकार नागा साधु के लिए उनका सिंगार बहुत ज़रूरत हैं| लेकिन इनका सिंगार कुछ अलग होता हैं| चलिए आज हम आपको बताएँगे की किस चीज़ों से नागा साधु अपना सिंगार करते हैं:-
१) भस्म:
भस्म नागा साधु का सबसे प्रिय चीज़ हैं| नागा साधु हमेशा ताज़ा भस्म का उपयोग करते हैं, जो उनके शरीर पे कपड़े का काम करता हैं| नागा साधु सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले भस्म को अपने शरीर पे रमाते हैं|
२) तिलक:
तिलक लगाना हमारे संस्कृति मे हमेशा से महत्वपूर्ण है क्योंकि ये हमारे दिमाग़ को शांत रखने का काम करता हैं| इसलिए नगा साधु सबसे ज़्यादा ध्यान अपने तिलक लगाने पे ध्यांन देते हैं| क्योंकि तिलक शक्ति प्रदान करता हैं और ये नागा साधु के पहचान का प्रतीक होता हैं|
३) फूल की माला:
नागा साधु हमेशा फूलों की माला पहनते हैं| जिसमें गेंदे के फूल की माला सबसे ज़्यादा नागा साधु का पसंदीदा होता हैं|
४) रुद्राक्ष:
रुद्राक्ष जो अपने विभिन्न गुणों के कारण व्यक्ति को प्रदान किया गया ‘प्रकृति का अमूल्य उपहार है’ कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से निकले जलबिंदुओं से हुई है| रुद्राक्ष को धारण करने से समस्त पापों का विनाश होता हैं | रुद्राक्ष की माला द्वारा मंत्र उच्चारण करने से फल प्राप्ति की संभावना कई गुना बढ़ जाती है| इसे धारण करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| इसलिए सभी शैव साधु रुद्राक्ष की माला पहनते हैं| ये रुद्राक्ष की माला कोई साधारण नही होती बल्कि इन्हें वर्षों तक सिद्ध किया जाता हैं| फिर धारण किया जाता हैं|
५) जटा:
जटा नागा साधु के लिए सबसे बड़ी पहचान होती हैं| वे अपने जटा को हमेशा साफ रखते हैं और अपनी जटा को फूलों आदि चीज़ों से सजातें हैं|
६) हथियार:
कुछ-कुछ नागा साधु लोग अपने साथ त्रिशूल या तलवार अपने साथ रखतें हैं| जो इनके योद्धा होने का प्रमाण दिखाता हैं और इनके रूप का हिस्सा भी हैं|
७) रत्न:
रत्न के उपयोग करने से बहुत सारे लाभ होते हैं| रत्न कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक के अलग-अलग पायदे भी होते हैं| इसलिए कई नागा साधु रत्नों की भी माला पहनते हैं| लेकिन अगर आप ऐसे नागा साधु को खोजेंगे तो आपको बहुत कम ही ऐसे दिखेंगे|
८) चिमटा:
नागा साधु हमेशा ही धुनि रमाते हैं| इसलिए नागा साधु हमेशा अपने साथ चिमटा साथ रखतें हैं क्योंकि इसका प्रयोग सबसे ज़्यादा धुनि रमाने मे ही आता हैं|
९) दाढ़ी:
जिस प्रकार नागा साधु अपने जटा को साफ-सुथरा रखते हैं उसी प्रकार वो अपनी दाढ़ी को भी अपने जटा के जैसे साफ रखते हैं| वो अपने दाढ़ी को पूरे जतन के साथ साफ करते हैं|
१०) पोषाक चर्म या लंगोट:
वैसे तो नागा साधु हमेशा निर्वस्त्र ही रहते हैं लेकिन कुछ साधु वाघाम्बर भी पहनते हैं और कुछ लोग लंगोट भी पहनते हैं|| वाघाम्बरका मतलब शेर या हिरण की खाल| वैसे तो सरकार के शिकार पे प्रतिबंध लगाने के कारण ऐसे साधु देखने को बहुत कम मिलते हैं|