कुछ दिनों के बाद शिवरात्रि आने वाली है| इसलिए आज हम आपको बताते है किन वस्तुओं या प्रसाद का उपयोग भगवान शिव के समक्ष नही करना चाहिए| सभी देवी-देवताओं के विधि पूर्वक पूजा करने में बहुत सी सामग्रियां शामिल की जाती हैं। लेकिन शिव जी की पूजा करते वक्त इन पाँच चीज़ों का प्रयोग नही करना चाहिए |
१) हल्दी :
वैसे तो हल्दी हरेक काम के लिए शुभ माना जाता है| इसे हम औषधि के रूप मे उपयोग करते हैं और हल्दी हमारे खाने के स्वाद को भी बढ़ाती है|शास्त्रों के अनुसार हल्दी स्त्रियोचित वास्तु है मतलब स्त्रियों संबंधित होती है और शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक होता है इसलिए इसे हम शिव जी को अर्पित नही करते हैं|लेकिन हाँ इसका प्रयोग हम जलाधारी शिवलिंग को अर्पित करने मे कर सकते हैं, क्योंकि जलाधारी का मतलब शिवलिंग दो भागों मे विभक्त होती है पहला भगवान शिव के रूप मे और दूसरा माँ पार्वती के रूप मे | हम शिवलिंग के उपर तो हल्दी नही चढ़ा सकतें लेकिन जलाधारी शिवलिंग पे चढ़ा सकतें हैं|
२) नारियल का पानी ( डाभ ) :
शिवलिंग की पूजा हम नारियल से करते हैं लेकिन कभी भी हम नारियल का पानी से नही करते, क्योंकि हम जानते हैं की नारियल पानी देवताओं को चढ़ाये जाने के बाद ग्रहण किया जाता है लेकिन शिवलिंग को अर्पित करने वाली सारी चीज़े निर्मल होती हैं मतलब जिन्हें हम ग्रहण नही कर सकते|
३) तुलसी :
हमारे शास्त्रों के अनुसार माँ तुलसी असुर जलंधर की पत्नी थी जिनके पतिवर्त पूजा की वजह से कोई भी देवता उन्हें पराजित नही कर सकें| इसलिए भगवान विष्णु ने जलंधर रूप बना के तुलसी जी के सामने आ गये क्योंकि जब भी जलंधर प्रातः काल कभी भी युध्ध करने जाते तो तुलसी जी उन्हें हमेशा एक पुष्प की माला ज़रूर पहनाती थी|एक दिन जब असुर-राज भगवान शिव से युध्ध करने जा रहा था तभी भगवान विष्णु ने असुर का रूप धारण कर के तुलसी जी के सामने आ गये और वो माला उन्होने पहन लिया और इधर असुर-राज बिना माला के ही चल दिए जिससे शिव जी ने उनका वध किया| जब ये बात तुलसी जी को पता चला तो उन्होने शिव जी को श्राप दिया की उनके पत्तों का उपयोग उनकी पूजा मे नही किया जाएगा|
४) कुमकुम :
कुमकुम या सिंदूर ये स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु के लिए और अच्छे स्वास्थ के लिए अपनी सिर पे लगती है| लेकिन हमें पता है की शिव विनाशक के रूप मे माने जातें है| इस लिए हम सिंदूर का प्रयोग नही करते हैं| अगर हम सिंदूर का प्रयोग करेंगे तो ये अशुभ माना जाता है |
५) केतकी के फूल :
एक बार ब्रह्म देव और विष्णु देव के बीच सबसे अधिक श्रेष्ठ के लिए युध्ध होने लगा और जब उन्होने युध्ध मे शक्तिशाली अस्त्र का प्रयोग शुरू किया तो शिव जी ने एक ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट हुए और उन दोनो को कहा की जो भी इस ज्योतिर्लिंग के आदि और अंत का पता लगाएगा वही सबसे श्रेष्ठ होगा| इस बात पे ब्रह्म देव ने ऊपर की और तथा विष्णु देव ने नीचे के और चले गये|लेकिन किसी को उस ज्योतिर्लिंग का ना आदि मिला ना अंत| विष्णु देव ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली लेकिन ब्रह्म देव ने कहा की मुझे इस ज्योतिर्लिंग के आदि का पता चल चुका है अगर नही विश्वाश है तो आप इस केतकी फूल से पूछ सकते है, ये साक्षी है मेरी यात्रा का| ब्रह्म देव के झूठ से क्रोधित होकर शिव जी ने ब्रह्म देव का एक सिर काट दिया और केतकी फूल को श्राप दिया की उनकी पूजा मे कभी भी इस फूल का प्रयोग नही होगा |