सुदर्शन चक्र, जैसा कि पुराणों में उल्लेख किया है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र अपने समय का सबसे पुराना और ताकतवर शस्त्रो मे से एक था |
उत्पत्ति और अर्थ :
सुदर्शन शब्द दो शब्दो से मिलकर बना हुआ है सु + दर्शन | जिसका अर्थ है शुभ दर्शन | उस काल के सभी शस्त्रो मे सिर्फ़ यह ही सदैव गति मे रहता था |
निर्माण और इतिहास :
इसके निर्माण के बारे मे कुछ तथ्य इस प्रकार है –
१. यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त ऊर्जा से बनाया गया था ।
२. बृहस्पति, देवी-देवताओं के गुरु, ने यह शस्त्र भगवान विष्णु को चक्र दिया।
३. श्री कृष्ण जी इसको देवतामण्डल से प्राप्त किया था |
भगवान विष्णु ब्रह्मांड के रक्षक है और देवताओं या उनके भक्तों के खिलाफ किए गए किसी भी ख़तरे को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली हथियार की जरूरत है।
इसलिए एक शक्तिशाली हथियार प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ, भगवान विष्णु भगवान शिव की आराधना करना शुरू कर दिया।
जब भगवान विष्णु जी ने प्रार्थना शुरू की तब भगवान शिव गहरे ध्यान मे थे |
सुदर्शन चक्र की महिमा :
1. भगवान विष्णु आमतौर पर अपने सूचकांक उंगली पर रखते थे |
2. यह दुश्मन को विलोपित करके पुनः अपने स्थान पर विराजित हो जाता था |
3. यह प्रकृति के शून्य मार्ग के सहारे एक ही पल मे कही भी पहुच सकता था |
4. जब कोई दुश्मन इसके समकक्ष आता था तब चक्र की गति तीव्र ही जाती थी, इसे रहस्य गति भी कहते है |
5. यह नीरव है।