हम कभी किसी भी काम को शुरू करते है तो सबसे पहले “श्री गणेश भगवान” का नाम ले कर शुरू करते है भगवान विग्नेश्वरा, जो एक सफेद वस्त्र पहनते हैं, जो सभी विघ्नो को हरते है, जिनके पास एक उज्ज्वल रंग है (पूर्णिमा की तरह), जिनके चार हाथ हैं (सभी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं), उस देवता का ध्यान करने के लिए व सभी बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्र है :-
“शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजं प्रसन्न |
वदनं ध्यायेत सर्व विगणोपा संताये ||”
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी का स्थान :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को केतु के रूप में जाना जाता है, केतु एक छाया गृह
है, जो राहु नामक छाया गृह से हमेशा विरोध में रहता है बिना विरोध के ज्ञान नहीं आता और बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं है | माना जाता है जो साधन है वही गणेश है अर्थात गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में विद्यमान है | गणेश जी को मानने वालो का मुख्य प्रयोजन उन्हें सर्वत्र देखना है, कहने के लिए जो भी साधन जीवन में प्रयोग किये जाते है वे सभी गणेश है |
विघ्न निवारण हेतु :-
गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ मिश्रित जल से गणेश जी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नो का निवारण होता है, तथा मेघा (विचारो) की शक्ति बढ़ती है, साथ ही इस मंत्र का जाप विघ्न दूर करता है :-
“ॐ गं गणपतये नमः”
भूलकर भी न करे ये कार्य:-
गणेश चतुर्थी के दिन चाँद का दर्शन करने से कलंक लगता है भूल से चन्द्रमा दिख जाने पर “श्रीमद भगवद ” के दशवे स्कंध के ५६ – ५७ वे अध्याय में दी गई ‘ श्यामंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदर पूर्वक पठन – श्रवण करना चाहिए | भाद्र पद शुक्ल तृतीया या पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए, इससे चौथ को दर्शन होगये होतो उसका ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होगा |